चीन का सैन्य अभ्यास, जानें ताइवान की तैयारी के बारे में...

Update: 2022-08-07 02:22 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी के दौरे के बाद ताइवान का चीन के साथ शुरू हुआ तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है. समुद्री सीमा में सैन्य अभ्यास (Military Exercises) कर चीन, लगातर ताइवान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है.

चीन के आगे काफी छोटा और सैन्य रूप से कमजोर होने के बावजूद भी ताइवान उसे टक्कर देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. ताइवान ने चीन से मुकाबला करने के लिए अब एक नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है, जिसमें वह दुनियाभर के देशों से मदद की अपील कर रहा है.
ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन (Tsai Ing-wen) ने ट्वीट कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ताइवान की मदद करने की अपील की. उन्होंने कहा, 'ताइवान की सरकार और सेना चीन के सैन्य अभ्यासों की बारीकी से निगरानी कर रही है. जरूरत पड़ने पर हम उन्हें जवाब देने के लिए भी तैयार हैं. लेकिन मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गुजारिश करती हूं कि वे हमारी मदद करें और क्षेत्रीय सुरक्षा को बरकरार रखने में सहयोग दें'.
इसके अलावा ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने भी ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने चीन की हरकतों का खुलासा किया है. ट्वीट में कहा गया कि चीन कीपीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के 20 एयरक्राफ्ट (10 एयरक्राफ्ट SU-30, 4 एयरक्राफ्ट J-16, 4 एयरक्राफ्ट J-11, एक Y-8 ASW और एक Y-20 एरियल रिफ्यूलिंग) और 14 नेवी के जहाजों ने शनिवार को ताइवान के आसपास सैन्य अभियान चलाया.
चीन ताइवान को छह तरफ से घेरकर युद्धाभ्यास कर रहा है. ऐसा करके वह उसके अहम बंदरगाहों का रास्ता रोकना चाहता है. इसमें Kaohsiung, Taichung, Taipei, Keelung, Suao and Hualien पोर्ट चीन के निशाने पर है. जिस जोन में चीन फायर ड्रिल कर रहा है वह ताइवान की तटरेखा से सिर्फ 20 किलोमीटर दूर है. चीनी मिलिट्री के हेलिकॉप्टर Pingtan island के पास उड़ते भी देख गए. यह Fujian प्रांत में मौजूद चीन का बिल्कुल अंतिम छोर है.
चीन की मिलिट्री ड्रिल के बीच अमेरिका चीन को चेता चुका है. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने शुक्रवार को कहा था कि अमेरिका को इस मामले को बढ़ाने से बचना चाहिए. यह भी कहा गया कि अगर यूएस स्पीकर नैंसी पेलोसी दोबारा ताइवान गईं तो ऐसा हो सकता है. कहा गया कि अमेरिका को दोबारा ऐसी गलती करने का अधिकार नहीं है.
चीन की हरकतों पर अमेरिका की पैनी नजर है. आइलैंड के पूर्व में यूएस के चार युद्धपोत मौजूद हैं. इसमें एक परमाणु संचालित विमान वाहक भी शामिल है. तैयारी के मामले में ताइवान भी पीछे नहीं है. चीन अगर एयर स्ट्राइक करता है तो उससे निपटने की तैयारी ताइवान ने भी शुरू कर दी है. सैन्य ताकत के मामले में भले ताइवान चीन के आगे कहीं ना टिके, लेकिन उसे फिलहाल यूएस से मदद की उम्मीद है.
ताइवान और चीन के बीच जंग काफी पुरानी है. 1949 में कम्यूनिस्ट पार्टी ने सिविल वार जीती थी. तब से दोनों हिस्से अपने आप को एक देश तो मानते हैं, लेकिन इसपर विवाद है कि राष्ट्रीय नेतृत्व कौन सी सरकार करेगी. चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है, जबकि ताइवान खुद को आजाद देश मानता है. दोनों के बीच अनबन की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुई. उस समय चीन के मेनलैंड में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और कुओमितांग के बीच जंग चल रही थी.
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