टोकियो। अमेरिका और ताइवान के साथ तनाव बढ़ने की उम्मीद के बीच चीन अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ाने की योजना पर आगे बढ़ रहा है। माना जाता है कि वह 2035 तक परमाणु हथियार के अपने भंडार को 900 तक यानी मौजूदा संख्या से तीन गुना कर लेगा। एक करीबी सूत्र ने यह जानकारी दी है। चीनी सूत्रों ने बताया कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा तैयार किए गए खाके को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और सेना प्रमुख ने मंजूरी दे दी है, जो इन दिनों वॉशिंगटन के खिलाफ बीजिंग की खिलाफत को मजबूत करने के लिए बेचैन हैं।
2022 में अमेरिका ने कहा था कि अपनी सेना के आधुनिकीकरण के लक्ष्य को पूरा करने के मकसद से बीजिंग 2035 तक अपने परमाणु हथियारों के भंडार को बढ़ाकर 1,500 करने की राह पर है। विदेशी मामलों के विशेषज्ञों ने दावा किया है कि अगर चीन अपनी सेना के आधुनिकीकरण के लक्ष्य को हासिल कर लेता है, तो परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर वह अपने 'नो फर्स्ट यूज' पॉलिसी को छोड़ सकता है। पिछले साल नवंबर में, चीनी सेना के शीर्ष निकाय ने घातक ताकतों की अहमियत के बारे में बात की, जहां उन्होंने रूस की परमाणु क्षमता का जिक्र किया था।
चीनी सेना ने बैठक में यह विश्लेषण किया कि कैसे रूस की मजबूत परमाणु ताकत ने यूक्रेन के खिलाफ आक्रामक होने के बावजूद उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) और मॉस्को के बीच एक युद्ध को होने से रोक दिया। चीन द्वारा रखे गए परमाणु हथियार 2027 में बढ़कर 550 हो जाने की संभावना है, जो देश की सशस्त्र बलों की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ है और 2035 में इनकी तादाद 900 तक पहुंच जाएगी। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के आंकड़ों के अनुसार रूस के पास 5,977 परमाणु हथियार हैं, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका के पास 5,428 परमाणु हथियार हैं। परमामु हथियारों की यह समान संख्या दोनों के बीच किसी निर्णायक संघर्ष को टालने में अहम भूमिका निभाती है।