भारत से संबंध सुधारना चाहता है चीन, जानें ड्रैगन की स्ट्रेटजी

भारत और चीन के बीच पिछले करीब दो सालों से संबंध खराब रहे हैं। इस बीच चीन ने ऐसे संकेत दिए हैं कि वह भारत से बेहतर रिश्ते चाहता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीनी विदेश मंत्री वांग यी 24 मार्च के करीब भारत के दौरे पर आ सकते हैं।

Update: 2022-03-17 06:33 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत और चीन के बीच पिछले करीब दो सालों से संबंध खराब रहे हैं। इस बीच चीन ने ऐसे संकेत दिए हैं कि वह भारत से बेहतर रिश्ते चाहता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीनी विदेश मंत्री वांग यी 24 मार्च के करीब भारत के दौरे पर आ सकते हैं। इसके बाद भी कई दौरे प्रस्तावित हैं। ऐसे में इस स्टोरी में हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि चीन क्यों भारत से बेहतर संबंध बनाना चाह रहा है।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन द्विपक्षीय बातचीत को शुरू करने और चीन में ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन के लिए मंच तैयार करने के लिए दिल्ली से बेहतर संबंध चाहता है। यही कारण है कि चीनी विदेश मंत्री वांग यी मार्च आखिर में भारत दौरे पर आ रहे हैं।
ब्रिक्स सम्मेलन की तैयारी कर रहा चीन?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट मुताबिक वांग यी के भारत दौरे के बाद भारत के विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर चीन दौरे पर जाएंगे। इसके बाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के टॉप पोलित ब्यूरो के सदस्य भारत का दौरा करेंगे। चीन ने दोनों देशों में 'भारत-चीन सभ्यता संवाद' आयोजित करने का प्रस्ताव भी दिया है। बीजिंग की ओर से भारत-चीन व्यापार, निवेश सहयोग मंच और भारत-चीन फिल्म फोरम का भी प्रस्ताव रखा गया है। लेकिन चीन का अंतिम मकसद पीएम मोदी को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में मेजबानी करना है। इसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी भाग लेंगे। ब्रिक्स सम्मेलन के साथ ही चीन को इस साल RIC (रूस-भारत-चीन) सम्मेलन की भी अध्यक्षता करनी है।
आखिरी बार नवंबर 2019 में मिले थे मोदी और जिनपिंग
भारत और चीन के बीच बॉर्डर मसले को देखते हुए पीएम मोदी के लिए शी जिनपिंग के साथ व्यक्तिगत बैठक में भाग लेना राजनीतिक तौर पर मुश्किल है। दोनों नेताओं ने आखिरी बार नवंबर 2019 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ब्राजील में मिले थे। अक्टूबर 2019 में शी ने महाबलीपुरम में एक अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत का दौरा किया था।
चीन में होने वाला अंतिम ब्रिक्स शिखर सम्मेलन सितंबर 2017 में जियामी में हुआ था जिसमें मोदी ने भाग लिया था। बता दें कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से ठीक ढाई महीने पहले डोकलाम सीमा गतिरोध को सुलझा लिया गया था। अबकी वांग यी की प्रस्तावित विदेश मंत्री स्तर की यात्रा के साथ बीजिंग संकेत दे रहा है कि वह संबंधों को फिर से पटरी पर लाने का इच्छुक है। अधिकारियों को लगता है कि जिस तरह जियोम शिखर सम्मेलन से पहले डोकलाम विवाद को सुलझा लिया गया था, उसी तरह ब्रिक्स सम्मेलन से पहले मसले को सुलझाया जा सकता है।


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