नई दिल्ली: चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) चीन की अरबों डॉलर की महत्वाकांक्षी योजना बेल्ट ऐंड रोड का सबसे अहम हिस्सा है. हालांकि, पाकिस्तान में सीपीईसी योजनाओं की धीमी गति से चीनी कंपनियां हताश हो चुकी हैं. पाकिस्तान के एक सीनेट पैनल ने भी इस प्रोजेक्ट पर पिछले तीन सालों में हुई जीरो प्रगति पर चिंता जाहिर की है. सीनेट की स्थाई समिति की अध्यक्षता करने वाले सलीम मांडवीवाला ने कहा कि चीनी सीपीईसी पर काम की गति से संतुष्ट नहीं हैं और पिछले तीन वर्षों के दौरान पोर्टफोलियो पर उन्होंने कोई प्रगति नहीं देखी है. उन्होंने बताया कि चीन के लोग नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. यहां तक कि चीनी राजदूत ने मुझसे शिकायत की है कि आपने सीपीईसी को बर्बाद कर दिया है और पिछले तीन वर्षों में कोई काम नहीं किया गया है.
गौरतलब है कि सीपीईसी अथॉरिटी के चीफ असीम सलीम बाजवा ने 60 बिलियन डॉलर्स के सीपीईसी प्रोजेक्ट को पाकिस्तान के लिए लाइफलाइन बताया था और उन्होंने कहा था कि ये प्रोजेक्ट पाकिस्तान को एक प्रोग्रेसिव और विकसित देशों की सूची में शामिल कर देगा. हालांकि बाजवा को हटाकर खालिद मंसूर को सीपीईसी अथॉरिटी का चीफ बनाया गया है.
उन्होंने सीपीईसी के फेज 1 पावर प्रोजेक्ट्स को लेकर कमिटी को जानकारी दी है. इसमें निवेशकों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में भी बात की गई थी. इनमें स्वतंत्र बिजली परियोजनाओं के भुगतान के मुद्दे, लंबे समय से बकाया ऋण, ऑटोमैटिक पेमेंट्स के लिए खाते की स्थापना जैसे कई मुद्दे शामिल थे. मंसूर को एनर्जी और पेट्रोकेमिकल सेक्टर से जुड़े मेगा प्रोजेक्ट्स में 32 सालों का अनुभव है.
सीपीईसी मामलों पर पीएम इमरान खान के विशेष सहायक मंसूर ने मांडवीवाला का भी समर्थन किया और कहा कि चीनी कंपनियां सरकार के संस्थानों और उनके काम की गति से संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वे खुद ग्वादर हवाई अड्डे पर काम की प्रगति से खुश नहीं हैं. हालांकि, उन्होंने पैनल को आश्वासन दिया है कि चीजें अब रिकवरी मोड पर आ चुकी हैं.
उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने अब एक निवेश सुविधा केंद्र तैयार करने योजना बनाई है ताकि सभी चीनी निवेशकों को वन विंडो ऑपरेशन की पेशकश की जा सके. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में 135 चीनी कंपनियां सीपीईसी और अन्य परियोजनाओं पर काम कर रही हैं और अब उनकी प्राथमिकता होगी कि कैसे सीपीईसी पर काम करने वाले लोगों के विश्वास को फिर से हासिल किया जा सकता है.
गौरतलब है कि इस कमिटी को सीपीईसी के प्रोजेक्ट्स के संबंध में बताया गया है कि 15.7 अरब डॉलर्स के 21 प्रोजेक्ट्स पूरे हो चुके हैं. इनमें से दस 5,320 मेगावॉट के पावर प्रोजेक्ट्स और HVDC ट्रांसमिशन लाइन से जुड़े प्रोजेक्ट्स हैं जिनमें 9.6 बिलियन डॉलर्स का खर्चा हुआ है. इसके अलावा पांच इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्ट्स हैं, दो ग्वादर पोर्ट और सिटी मास्टर प्लान से जुड़े प्रोजेक्ट्स हैं. बता दें कि कुल 31 प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा रहा है. इसके अलावा चीन और पाकिस्तान के बीच 36 प्रोजेक्ट्स विचाराधीन हैं.
चीन पाकिस्तान में धीमी गति से चल रहे काम को लेकर तो परेशान है ही साथ ही सीपीईसी प्रोजेक्ट से जुड़े कुछ चीनी लोगों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी है. जुलाई महीने में ही खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हुए एक बम ब्लास्ट में 13 लोग मारे गए थे जिसमें 9 चीनी नागरिक थे. इसके बाद ही चीन ने अपनी एक स्पेशल टीम पाकिस्तान भेजी थी. ये ब्लास्ट एक बस में हुआ था और इस बस में चीन के इंजीनियर और कंस्ट्रक्शन वर्कर्स मारे गए थे जो इस प्रांत में बांध बनाने का काम कर रहे थे. जांच में सामने आया था कि ये एक आतंकी हमला था जिसमें कुल 13 लोगों की मौत हुई थी और इसके बाद से ही बाजवा पर तलवार लटकने लगी थी और अगले महीने ही उन्हें हटाकर खालिद मंसूर को सीपीईसी चीफ बनाया गया था.