चीन ने ऑस्ट्रेलिया को परमाणु हमला करने की दी धमकी

Update: 2021-09-17 11:36 GMT

अमेरिका और ब्रिटेन के साथ ऑस्ट्रेलिया का न्यूक्लियर सबमरीन समझौता चीन को नागवार गुजरा है. चीन की स्टेट मीडिया ने चेतावनी दी है कि अगर ऑस्ट्रेलिया इस समझौते को पूरा करते हुए परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों को हासिल कर लेता है तो इस देश पर परमाणु हमले की संभावना बढ़ सकती है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता Zhao Lijian ने इससे पहले कहा था कि ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन के नए समझौते AUKUS के चलते क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंच सकता है. इससे देशों में हथियारों की होड़ तेज होगी और परमाणु हथियारों के अप्रसार से जुड़ी संधि भी कमजोर होगी.

वहीं, चीन के ग्लोबल टाइम्स ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा है कि ऑस्ट्रेलिया का ये कदम उसके लिए काफी घातक हो सकता है और इस देश पर न्यूक्लियर अटैक तक हो सकता है. ग्लोबल टाइम्स के इस आर्टिकल में एक अज्ञात चीनी सैन्य विशेषज्ञ का हवाला दिया गया है जिसमें उन्होंने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया अपने इस कदम के साथ ही दूसरे देशों के लिए परमाणु हमले का खतरा पैदा कर सकता है क्योंकि इन नई पनडुब्बियों में अमेरिका या ब्रिटेन द्वारा प्रदान किए गए न्यूक्लियर हथियारों को लगाया जा सकता है. अमेरिका की रणनीतिक डिमांड को पूरा करने वाली ऑस्ट्रेलिया की न्यूक्लियर सबमरिन के चलते रूस और चीन जैसे देशों पर खतरा मंडरा सकता है. इसके चलते ऑस्ट्रेलिया पर भी न्यूक्लियर हमले की संभावना बढ़ सकती है. उन्होंने आगे कहा कि चीन या रूस ऑस्ट्रेलिया के इस समझौते के बाद उसे एक ऐसे देश के तौर पर नहीं देखेंगे कि एक शांतिप्रिय देश ने न्यूक्लियर पावर हासिल की है बल्कि वे उन्हें अमेरिका का समर्थक मानते हुए एक ऐसे देश के तौर पर देखेंगे जो किसी भी वक्त परमाणु हथियारों के जखीरे के साथ अपने आपको एक आक्रामक देश के तौर पर स्थापित कर रहा है.

बता दें कि चीन की डीएफ-31 परमाणु मिसाइल 8 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 11 हजार 200 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है और महज आधे घंटे में अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया पहुंच सकती है. गौरतलब है कि अब तक सिर्फ 8 देश ऐसे हैं जिनके पास परमाणु हथियार हैं. इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, रूस, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया हैं. ऑस्ट्रेलिया के पास अब तक परमाणु हथियारों का कोई अनुभव नहीं रहा है और ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन लगातार कहते रहे हैं कि उनका परमाणु अप्रसार संधि को तोड़ने का कोई इरादा नहीं है. इससे पहले ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के इस प्रोजेक्ट के आलोचकों ने चिंता जताते हुए कहा था कि इस समझौते के बाद परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के लूपहोल का फायदा उठाने की कोशिश कुछ देश कर सकते हैं. दरअसल एनपीटी गैर-परमाणु हथियार वाले देशों को परमाणु हथियार संचालित पनडुब्बियों का निर्माण करने की अनुमति देती है लेकिन इससे किसी भी देश के लिए परमाणु हथियार बनाने की संभावना काफी बढ़ जाती है. कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में परमाणु नीति कार्यक्रम के को-चेयरमैन जेम्स एक्टन ने इस मामले में बात करते हुए कहा था कि 'मेरी चिंता ये नहीं है कि ऑस्ट्रेलिया परमाणु सामग्री का दुरुपयोग करेगा और लूपहोल का फायदा उठाकर परमाणु हथियार बनाने की कोशिश करेगा लेकिन ऐसे लूपहोल का फायदा ईरान जैसे देश उठा सकते हैं.

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