अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन और तालिबान को लेकर बड़ा बयान दिया है. एक पत्रकार ने जब बाइडेन से पूछा कि क्या आप चिंतित हैं कि तालिबान को चीन से फंडिंग मिलेगी? इसपर बाइडेन ने कहा कि तालिबान से चीन को दिक्कत है तो चीन तालिबान के साथ सामंजस्य बिठाने में लगा है. जैसा पाकिस्तान, रूस और ईरान कर रहे हैं. हम सब यह पता लगाने कि कोशिश कर रहे हैं कि आगे अब वे लोग क्या करेंगे. यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है?
बता दें कि अमेरिका और उसके सात सहयोगी देश ने न्यूयॉर्क फेडरल रिजर्व में रखे गए अफगानिस्तान के पैसों की तालिबान की निकासी पर रोक लगाने पर सहमति जताई है. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि तालिबान अतंरराष्ट्रीय कानून के पालन और महिलाओं के अधिकारों के सम्मान के अपने वायदे को निभाए.
विश्व की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले देश के समूह जी-20 का मौजूदा अध्यक्ष इटली है. इटली अफगानिस्तान पर एक वर्चुअल G20 बैठक स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. हालांकि इस बैठक को लेकर किसी तारीख की घोषणा नहीं की गई है. दरअसल, इस समूह में शामिल कई देशों के बीच तालिबान मसले पर मतभेद है. चीन और रूस भी इस ग्रुप में शामिल हैं. चीनी स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी ने 29 अगस्त को एक फोन कॉल पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को तालिबान के साथ जुड़ना चाहिए और उनका "सकारात्मक मार्गदर्शन" करना चाहिए. गौरतलब है कि चीन, तालिबान को वित्तीय मदद का ऐलान कर चुका है. तालिबान ने चीन के बनाए जा रहे आर्थिक कॉरिडोर में भागीदार बनने की बात कही है. इसपर बाइडेन का कहना है कि तालिबान के साथ चीन कुछ समझौता करना चाह रहा है. चीन ही नहीं बल्कि रूस, ईरान भी इस बात पर विचार कर रहे हैं कि आगे क्या किया जाए.