जानबूझकर जापान के इलाके में बैलिस्टिक मिसाइलें दाग रहा चीन, निशाने पर अमेरिकी मित्र राष्ट्र
नैंसी की इस यात्रा के बाद यह तय हो गया है कि अमेरिका ताइवान को यूक्रेन की तरह अकेला नहीं छोड़ सकता है। यह चीन के लिए एक स्पष्ट संदेश है।
अमेरिकी सीनेट की स्पीकर नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) के एशियाई दौरे के बाद खासकर ताइवान यात्रा के उपरांत चीन आक्रामक मूड में आ गया है। उसने अब क्वाड देशों को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है। चीन ने ताइवान के निकट उकसावे की कार्रवाई करते हुए गुरुवार को दो घंटे में एक दर्जन बैलिस्टिक मिसाइल दागी थी। चीनी सैन्य अभ्यास के दौरान उसकी पांच मिसाइलें जापान के क्षेत्र में गिरी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह चीन की सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। चीन ने जानबूझकर जापान पर ये मिसाइलें गिराई हैं। आइए जानते हैं कि चीन की इस चाल के पीछे बड़े निहितार्थ क्या है। ऐसा करके चीन दुनिया को क्या संदेश देना चाहता है।
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि नैंसी की ताइवान और जापान की यात्रा के बाद चीन की काफी किरकिरी हुई है। वैश्विक स्तर पर उसकी छवि को बड़ा धक्का लगा है। उन्होंने कहा कि चीन का यह सैन्य परीक्षण उसी भड़ास का नतीजा है। ऐसा करके वह दुनिया को संदेश देना चाह रहा है कि वह किसी से डरता नहीं है और ताइवान पर उसकी नीति कायम है। इसलिए वह बार-बार उकसावे की काईवाई कर रहा है। यही कारण है कि नैंसी के ताइवान पहुंचते ही उसने अपने ताइवान जलडमरूमध्य में सैन्य अभ्यास को अंजाम दिया है।
2- प्रो पंत ने कहा कि चीन ने जापान को भी निशाना बनाया है। ऐसा करके उसने हिंद प्रशांत क्षेत्र में एक संदेश दिया है। चीन का मकसद है कि उसने नैंसी की यात्रा पर भले ही उनके विमान को नहीं गिराया है, लेकिन वह अमेरिका से कतई भयभीत नहीं है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में भी वह अमेरिकी नीति का विरोध करता है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर चीन की यह विरोध की नीति है। ऐसा करके उसने अमेरिका और मित्र राष्ट्रों को सख्त संदेश दिया है। खासबात यह है कि जापान, क्वाड संगठन का प्रमुख हिस्सा है। चीन ने क्वाड के गठन का विरोध करते हुए कहा था कि यह हिंद प्रशांत क्षेत्र में एक नाटो जैसे संगठन का उदय है। उधर,नैंसी की एशियाई देशों की यात्रा के दौरान अमेरिका की पैनी नजर है।
3- प्रो पंत ने कहा कि चीन यह संदेश देना चाहता है कि वह अब आक्रामक मूड में है। नैंसी की यात्रा के बाद वह ऐसी चाल चल सकता है कि जिससे ताइवान समेत क्वाड देशों को दिक्कत हो। उधर, अमेरिका अपने सयोगी और मित्र राष्ट्रों को यह संदेश देने में कामयाब रहा है कि वह चीन की धमकियों से डरता नहीं है। वह अपने मित्र राष्ट्रों और समान विचारधारा वाले राष्ट्रों के साथ खड़ा है। यूक्रेन जंग के बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि अब चीन भी ताइवान पर हमला कर सकता है। नैंसी की इस यात्रा के बाद यह तय हो गया है कि अमेरिका ताइवान को यूक्रेन की तरह अकेला नहीं छोड़ सकता है। यह चीन के लिए एक स्पष्ट संदेश है।