विदेश मंत्री जयशंकर के इस बयान से सहमत हुआ चीन, कही ये बात

चीन ने शुक्रवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर के उस बयान पर सहमति जताई

Update: 2021-09-17 13:14 GMT

China, External Affairs Minister S Jaishankar, Beijing, India,दुशान्बे में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन (SCO Summit) से इतर एक बैठक में गुरुवार को जयशंकर ने कहा कि दोनों पक्षों को परस्पर सम्मान आधारित संबंध स्थापित करना होगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए यह आवश्यक है कि चीन, भारत के साथ अपने संबंधों को, तीसरे देशों के साथ अपने संबंधों के दृष्टिकोण से देखने से बचे. इससे पहले, ताजिकिस्तान की राजधानी में वांग-जयशंकर वार्ता पर चीनी विदेश मंत्रालय के एक बयान में चीनी विदेश मंत्री के हवाले से कहा गया कि चीन-भारत सीमा मुद्दे (China-India border issue) के उचित समाधान के लिए चीन हमेशा सकारात्मक रहा है.

चीन ने आखिर क्या कहा?
जयशंकर की टिप्पणी को लेकर पूछे गए सवाल पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा, 'हम भारतीय पक्ष की टिप्पणी से सहमत हैं.' उन्होंने कहा, 'चीन और भारत दोनों महत्वपूर्ण एशियाई देश हैं. संबंध विकसित करने के लिए दोनों देशों का एक अंतर्निहित आवश्यक तर्क है. चीन-भारत के संबंध कभी किसी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाते.' इससे जुड़े एक सवाल के जवाब में झाओ ने कहा, 'भारत-चीन संबंधों की प्रगति अपने अंतर्निहित तर्क का पालन करती है. चीन-भारत संबंध किसी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाते और ना ही किसी तीसरे पक्ष पर आधारित हैं.'
एस जयशंकर ने क्या कहा था?
दरअसल, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी समकक्ष वांग यी से कहा कि चीन को भारत के साथ अपने संबंधों को किसी तीसरे देश की निगाह से नहीं देखना चाहिए. साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया में प्रगति शांति बहाली के लिए आवश्यक है और यह संपूर्ण (द्विपक्षीय)संबंध के विकास का आधार भी है. इसलिए, सेना को तेजी से पीछे हटाने की जरूरत है. जयशंकर ने ट्वीट किया, 'चीन के विदेश मंत्री से दुशांबे में एससीओ की बैठक से इतर मुलाकात हुई. अपने सीमावर्ती क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पर चर्चा की और यह रेखांकित किया कि शांति बहाली के लिए यह बेहद जरूरी है और यह द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का आधार है.'
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