मां की आवाज से कम होता है बच्चों का दर्द: अध्ययन
तो आक्सीटोसीन का स्तर 0.8 पिकोग्राम प्रति मिलीलीटर से बढ़कर 1.4 हो जाता है।
मां का प्यार जीवन में सबके लिए अनमोल होता है। इसका असर कितना गहरा होता है, इसकी बानगी एक नए शोध से भी जानी जा सकती है। इसमें पाया गया है कि समय से पहले जन्म लेने वाले (प्रीमैच्योर) बच्चों को यदि कष्टकारक स्थितियों में मां की आवाज सुनाई दे तो बच्चों में दर्द का अनुभव कम हो जाता है। शोध का यह निष्कर्ष साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है। यूनिवर्सिटी आफ जेनेवा के शोधकर्ताओं ने इटली के परिनी हास्पिटल और यूनिवर्सिटी आफ वैले डी ओस्टा के साथ मिलकर इस बात पर शोध किया कि आखिर बच्चों के लिए ऐसा क्या किया जा सकता है ताकि उसका दर्द कम हो सके।
समय पूर्व जन्म पर क्या होती है कठिनाइयां
यदि बच्चे का जन्म गर्भावस्था के 37 सप्ताह के पहले होता है तो उसे आमतौर पर सघन देखभाल के लिए इन्क्यबेटर में रखा जाता है। उस दौरान उसे कई प्रकार की कष्टदायी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। जैसे कि खून का नमूना लेने के लिए सुई चुभोना और फीडिंग ट्यूब लगाना आदि। इससे बच्चे को दर्द तो होता ही है, उसके विकास पर भी असर पड़ता है। शोधकर्ताओं की टीम की रुचि इस बात में रही कि मां-बच्चे के बीच आवाज से जुड़ाव बना रहे। इससे बच्चों को दर्द सहने में आसानी होती है।
ब्लड सैंपल लेने के दौरन सुई चुभोने से बच्चों को होने वाले दर्द का किया आकलन
इस परिकल्पना की पुष्टि के लिए शोधकर्ताओं ने परिनी हास्पिटल में समय से पूर्व जन्मे 20 बच्चों की मां से कहा कि वे बच्चों का ब्लड सैंपल लेते समय उसके पास मौजूद रहें। तीन चरणों में अध्ययन किया गया ताकि उसका तुलनात्मक विश्लेषण किया जा सके। बच्चे को पहली सुई मां की गैरमौजदूगी में लगाई गई। दूसरी सूई के समय मां को बच्चे से बात करने को कहा और तीसरी बार में मां को बच्चे के लिए लोरी या गीत गाने को कहा गया। बात करने या गाना गाने का क्रम बार-बार बदला गया। इस दौरान मां की आवाज की तीव्रता भी मापी गई ताकि इंटेसिव केयर में मशीनों की आवाज के असर को भी कवर किया जा सके। इसके बाद शोधकर्ताओं ने यह परखने का प्रयास किया कि क्या मां की मौजूदगी से बच्चों का दर्द कम हुआ? इसके लिए उन्होंने प्रीटर्म इंफैंट पेन प्रोफाइल (पीआइपीपी) का इस्तेमाल किया। इसमें चेहरे की भाव-भंगिमा (फेशियल एक्सप्रेशन) और शारीरिक पैरामीटर (जैसे कि हृदय गति, आक्सीजेनेशन) आदि की माप के लिए शून्य से लेकर 21 तक की कोड ग्रेडिंग की गई, जिससे कि दर्द को जाना जा सके।
मां की मौजूदगी का परिणाम में दिखा अहम असर
इस प्रयोग के परिणाम बड़े ही अहम रहे। मां की गैरमौजूदगी में पीआइपीपी 4.5 रहा, जबकि बच्चे से मां की बात करने के समय यह घटकर तीन पर आ गया। वहीं, गीत गाने पर पीआइपीपी 3.8 आया। इस अंतर का कारण यह हो सकता है कि जब मां गाती है तो बच्चों में जो महसूस करती है, उसे लयबद्धता के कारण पूरा-पूरा व्यक्त नहीं कर पाती है। लेकिन बात करने में लयबद्धता का कोई बंधन नहीं होता है। इसी तरह मां जब बात करती है तो आक्सीटोसीन का स्तर 0.8 पिकोग्राम प्रति मिलीलीटर से बढ़कर 1.4 हो जाता है।