बच्चों ने सॉफ्ट ड्रिंक और फलों के रस का सहारा लेकर बदल रहे कोरोना जांच रिपोर्ट, सोशल मीडिया पर वीडियो हो रहे वायरल
महासचिव जेओफ बर्टन ने बताया कि ऐसे काम कुछ ही विद्यार्थी करे रहे है।
बच्चे हमेशा स्कूल न जाने के नए-नए बहाने खोजते रहते है। कुछ खुराफाती बच्चों ने कोरोना की जांच को प्रभावित करने के तरीके भी खोज लिए हैं। हुल्ल विश्वविद्यालय के विज्ञान संचार और रसायन विज्ञान प्रोफेसर मार्क लोर्च ने बताया कि बच्चे कोविड-19 लेटरल फ्लो टेस्ट की रिपोर्ट को प्रभावित करने के लिए सॉफ्ट ड्रिंक और फलों के रस का सहारा ले रहे हैं। प्रोफेसर मार्क ने बताया कि उन्होंने सॉफ्ट ड्रिंक और फलों के रस की बूंदों को कोविड-19 लेटरल फ्लो टेस्ट किट पर डाला, जिससे ये पता चला की इससे परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।
इन दिनों बच्चे कोरोना जांच को झुठलाने के लिए फलों के रस से लेकर सॉफ्ट ड्रिंक्स तक कई प्रकार के तरल पदार्थों का उपयोग कर रहे हैं। इन सभी में एक चीज समान है- वे अत्यधिक खट्टे हैं। संतरे के रस में साइट्रिक एसिड, कोला में फॉस्फोरिक एसिड और सेब के रस में मैलिक एसिड इन पेय पदार्थों को 2.5 और 4 के बीच पीएच देते हैं। इससे लेटरल फ्लो टेस्ट को प्रभावित किया जा सकता है। कोरोना परीक्षण को सही तरीके से काम करने के लिए एंटीबॉडी में पीएच के मानक बनाए रखना जरूरी होता है।
एक जांच में यह उजागर हुआ कि यदि आप कोला को बफर के साथ मिलाते हैं तो लेटरल फ्लो टेस्ट परीक्षण बेकार है। इसे देखते हुए, आप उम्मीद कर सकते हैं कि खट्टे पेय कोरोना के परिक्षण पर कैसे असर डाल सकते है। ऑस्ट्रियाई राजनेता ने पहले ही लेटरल फ्लो टेस्ट पर सवाल खड़े किए थे।
कोरोना जांच को प्रभावित करने के लिए ब्रिटेन में सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड हो रहे हैं। फिलहाल ब्रिटेन में कोविड-19 की वजह से स्कूल बंद चल रहे है। अगर संक्रमण दर घटे तो 35 फीसदी स्कूल खोल दिए जाएंगे। एसोसिएशन ऑफ स्कूल एंड कॉलेज लीडर्स के महासचिव जेओफ बर्टन ने बताया कि ऐसे काम कुछ ही विद्यार्थी करे रहे है।