पाकिस्तान में जबरन गायब करने के मामले बढ़े, अक्टूबर में सामने आए 37 केस
सिंधी एवं बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को जबरन गायब करना शामिल हैं।
पाकिस्तान में जबरन गायब करने के मामले बढ़ रहे हैं। अक्टूबर के महीने में देश भर से अपहरण की 37 नई घटनाएं सामने आई हैं। द फ्राइडे टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कमीशन आफ इंक्वायारी आन एनफोर्स्ड डिसएपीरियेंसेज ने अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा है कि आयोग को अक्टूबर में देश भर से गुमशुदगी की 37 नई शिकायतें मिली हैं।
अक्टूबर महीने के लिए आयोग के आंकड़ों में कहा गया है कि आयोग को पिछले महीने 30 मामले मिले थे- जिनमें से 18 व्यक्ति अपने घर लौट आए थे, 8 सुरक्षा बलों के नजरबंदी केंद्रों में कैद पाए गए, 3 जेलों में बंद हैं और एक व्यक्ति का शव मिला है। आयोग के आंकड़े बताते हैं कि कुल 14 मामलों को जबरन गायब होने के मामले नहीं माने जाने के कारण उन्हें हटा दिया गया था।
मार्च 2011 में यह आयोग बनाया गया था, तब से लेकर अक्टूबर 2021 तक जबरन गायब करने से संबंधित 8,154 शिकायतें मिलीं। इनमें से 5,924 मामलों का निपटारा कर दिया गया, जबकि पूछताछ के दौरान 2,267 व्यक्तियों के ठिकानों का पता नहीं चल सका।
पाकिस्तान अपने कब्जे के पहले दिन से ही बलूचिस्तान के लोगों को चुप कराने के लिए जबरन गायब करने का इस्तेमाल एक उपकरण के रूप में करता रहा है। एक के बाद एक कई सरकारों ने जबरन गायब करने को अपराध की श्रेणी में शामिल करने का वादा किया है, लेकिन किसी ने भी ठोस कदम नहीं उठाए हैं और यह प्रथा बिना किसी दंड के जारी है।
हाल के दिनों में इस क्षेत्र में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और बलूच विद्रोहियों के बीच लड़ाई तेज हो गई है। अमेरिकी विदेश विभाग ने अपनी 2020 कंट्री रिपोर्ट्स आन ह्यूमन राइट्स में पाकिस्तान में महत्वपूर्ण मानवाधिकार मुद्दों पर प्रकाश डाला है, जिसमें सरकार द्वारा गैरकानूनी या मनमानी हत्याएं और पश्तून, सिंधी एवं बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को जबरन गायब करना शामिल हैं।