इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में निर्धारित अवधि के भीतर चुनाव की तारीखों की घोषणा में देरी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए, उच्चतम न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने गुरुवार को इस मामले को मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) उमर अता बंदियाल के पास स्वत: संज्ञान लेने की कार्यवाही के लिए भेज दिया।
समाचारपत्र 'डॉन' के शुक्रवार की रिपोर्ट के मुताबिक कार्यवाही के बाद जारी छह पन्नों के आदेश में कहा गया है कि सीजेपी अनुच्छेद 184 (3) के तहत अधिकार क्षेत्र का उपयोग करके इस मामले को उठाने के लिए एक पीठ का गठन करना उचित समझ सकते हैं।
न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन और न्यायमूर्ति सैय्यद मजहर अली अकबर नकवी की युगल पीठ ने कहा,"हमारा विचार है कि इन कार्यवाही के दौरान हमारे संज्ञान में लाया गया मामला संविधान के भाग- II के अध्याय -1 द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के संदर्भ में सार्वजनिक महत्व का एक गंभीर प्रश्न उठाता है।"
लाहौर पुलिस प्रमुख गुलाम महमूद डोगर के तबादले से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान चुनावी मुद्दा उठा और शुक्रवार (आज) को फिर से इस पर सुनवाई होगी, लेकिन इस बार न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर भी पीठ के सदस्य भी बनेंगे।
मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सिकंदर सुल्तान राजा, जिन्हें अदालत ने तलब किया था, को भी शुक्रवार को पेश हो सकते हैं क्योंकि उनकी उपस्थिति से छूट देने के उनके अनुरोध पर विचार नहीं किया गया है।
यह लगातार दूसरा दिन है जब कार्यवाही के दौरान पंजाब में चुनाव का मुद्दा उठा। सीजेपी की अगुवाई वाली बेंच ने बुधवार को चुनाव की तारीख में देरी पर हैरानी जताई।
अदालत के आदेश में कहा गया है कि चूंकि पंजाब में चुनाव की तारीख की घोषणा के संबंध में कोई प्रगति नहीं हुई है, इसलिए 'स्पष्ट संवैधानिक आदेश के उल्लंघन का खतरा' है।
सुनवाई के दौरान, सीईसी ने निराशा व्यक्त की और दावा किया कि पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) के अधिकार को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा,"चुनाव कैसे हो सकता है जब न्यायपालिका न्यायिक अधिकारियों को रिटर्निंग अधिकारियों के रूप में चुनाव कर्तव्यों के लिए मंजूरी देने के लिए तैयार नहीं है, जो उसने 2018 के चुनावों में किया था1 सेना ने चुनावों के लिए सुरक्षा प्रदान करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है जबकि संघीय सरकार ऐसा नहीं लगती है चुनाव के संचालन के लिए धन आवंटित करने के लिए तैयार है।"
जब न्यायमूर्ति अहसन ने पूछा कि क्या सरकार ने ईसीपी को कठिनाई के बारे में अवगत कराया है, तो उन्होंने सकारात्मक उत्तर दिया। सुनवाई के दौरान, सीईसी ने आशंका व्यक्त की कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए, कुछ आयुक्तों, उपायुक्तों, क्षेत्रीय पुलिस अधिकारियों तथा जिला पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण आवश्यक हैं। साथ ही उन्होंने दलील दी कि शीर्ष मामले में ईसीपी स्थानांतरण आदेश जारी नहीं करेगा जब तक अदालत उसे ऐसा करने का आदेश नहीं देती है। इस पर न्यायमूर्ति अहसान ने कहा कि अदालत ऐसा कोई आदेश जारी नहीं करेगी।
इससे पहले, पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल (एजीपी) शहजाद अता इलाही ने कहा कि संघीय सरकार को याचिकाकर्ता गुलाम महमूद डोगर के तबादले के लिए गत 10 नवंबर, 2022 को लाहौर में एक अधिसूचना जारी की गई थी, जिसे संघीय सेवा न्यायाधिकरण (एफएसटी) की दो सदस्यीय पीठ ने निलंबित कर दिया था। लेकिन उसी ट्रिब्यूनल की एक और दो सदस्यीय पीठ ने 24 नवंबर, 2022 के उस आदेश को निलंबित कर दिया, जिसे वर्तमान अपील के माध्यम से शीर्ष न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी।