एचआईवी संक्रमित को पदोन्नति से नहीं कर सकते इनकार : इलाहाबाद हाईकोर्ट

Update: 2023-07-20 10:37 GMT
 
लखनऊ (आईएएनएस)। एक महत्वपूर्ण फैसले में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने फैसला सुनाया है कि कर्तव्‍य पूरा करने में सक्षम एचआईवी पॉजिटिव को पदोन्नति से इनकार नहीं किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति डी.के. उपाध्याय और ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने 24 मई के एकल न्‍यायाधीश के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि "किसी व्यक्ति की एचआईवी की स्थिति पदोन्नति से इनकार का आधार नहीं हो सकती, यह भेदभावपूर्ण होगा और अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 16 (राज्य रोजगार में भेदभाव न करने का अधिकार) और 21 (जीवन का अधिकार) में निर्धारित सिद्धांतों का उल्लंघन होगा।" एकल न्‍यायाधीश ने पदोन्नति से इनकार करने को चुनौती देने वाली सीआरपीएफ कांस्टेबल की याचिका खारिज कर दी थी।
उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और सीआरपीएफ को निर्देश दिया कि कांस्टेबल की हेड कांस्टेबल के पद पर पदोन्नति पर उसी तारीख से विचार किया जाए, जब उसके कनिष्ठों की पदोन्नति हुई थी।
पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता उन सभी परिणामी लाभों का हकदार है, जो उन लोगों को दिए गए थे जो एचआईवी पॉजिटिव नहीं थे।
आदेश पारित करते समय, पीठ ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के "प्रेरक प्रभाव" पर विचार किया, जिसने 2010 में एक एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति के पक्ष में फैसला सुनाया था।
अपनी अपील में सीआरपीएफ कांस्टेबल ने कहा कि उसे 1993 में कांस्टेबल के रूप में नियुक्त किया गया था और शुरुआत में वह कश्मीर में तैनात था।
2008 में, वह एचआईवी पॉजिटिव पाया गया, लेकिन वह अपना कर्तव्य निभाने के लिए फिट है और 2013 में उसे पदोन्नत किया गया।
लेकिन 2014 में उनकी पदोन्नति उलट दी गई और वह कांस्टेबल ही बना रहा।
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