कनाडा, ब्रिटेन, और अमेरिका ने कृषि कानून वापसी पर कहा- किसानों को नाराज कर खतरा नहीं ले सकता भारत

तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने पर विदेशी मीडिया में भी मोदी सरकार के इस फैसले की व्यापक चर्चा है। पाकिस्तान कनाडा, ब्रिटेन, और अमेरिका के अखबारों और पोर्टलों ने इस खबर को अपनी वेबसाइट पर प्रमुखता से स्थान दिया है।

Update: 2021-11-20 02:39 GMT

तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने पर विदेशी मीडिया में भी मोदी सरकार के इस फैसले की व्यापक चर्चा है। पाकिस्तान कनाडा, ब्रिटेन, और अमेरिका के अखबारों और पोर्टलों ने इस खबर को अपनी वेबसाइट पर प्रमुखता से स्थान दिया है।

भारत में किसानों को नाराज करने का खतरा मोल नहीं ले सकती कोई सरकार
पीएम मोदी के कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के कुछ मिनट बाद ही न्यूयॉर्क टाइम्स की वेबसाइट पर यह खबर चली। उसने लिखा, किसान आंदोलन के सामने प्रधानमंत्री मोदी को आखिरकार अपना रुख बदलना पड़ा। सरकार ने नरम रुख अख्तियार करते हुए विवादित कृषि कानूनों को वापस ले लिए।
कनाडा के अखबार ने लिखा, मोदी ने फिर चौंकाया
कनाडा के अखबार द ग्लोब एंड मेल ने लिखा पीएम मोदी ने एक बार फिर चौंकाया। प्रकाश पर्व पर मोदी की इस घोषणा के कई मायने निकाले जा सकते हैं। पिछले साल सितंबर में इन कानूनों को पास किया गया था। तब से इनका विरोध हो रहा था और सरकार की परेशानियां बढ़ती जा रहीं थीं।
सियासी मजबूरी : सीएनएन
प्रधानमंत्री के पूरे भाषण को अमेरिकी चैनल सीएनएन ने प्रसारित किया। सीएनएन ने लिखा, यह किसानों की बहुत बड़ी जीत है। मोदी सरकार ने सियासी मजबूरी के कारण यह फैसला लिया है। उसने लिखा है, कोई भी सरकार किसानों को नाराज करने का खतरा नहीं उठा सकती। पीएम मोदी अगले साल होने वाले चुनावों को नजरअंदाज नहीं कर सकते।
डॉन ने लिखा-खींचने पड़े कदम
पाकिस्तानी अखबार डॉन ने लिखा मोदी सरकार को अपने फैसले वापस लेने पड़े। डॉन ने 'कृषि कानूनों पर मोदी को कदम पीछे खींचने पड़े' शीर्षक से यह खबर चलाई है। वेबसाइट ने दो सिख किसानों की एक दूसरे को मिठाई खिलाते हुए फोटो लगाई है।
किसानों की अनदेखी : द गार्जियन
ब्रिटेन के अखबार द गार्जियन ने लिखा है कि इन कानूनों के जरिये कृषि का पूरा ढांचा बदलना था। उसने लिखा, सरकार ने किसानों से बातचीत किए बिना ही ये कानून बनाए। अपनी अनदेखी किसानों किसानों को नागवार गुजरी।

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