ISIS में शामिल होने के लिए 15 साल की उम्र में लंदन से सीरिया आई, अब 'आतंकवाद' के खिलाफ लड़ना चाहती है

उस समय वह स्कूल में पढ़ रही थी और जटिल कानूनी लड़ाई के बाद तत्कालीन गृहमंत्री साजिद जाविद ने उसकी ब्रिटिश नागरिकता रद्द की थी.

Update: 2021-09-16 11:15 GMT

इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) में शामिल होने के लिए 15 साल की उम्र में लंदन से सीरिया गई बांग्लादेशी मूल की शमीमा बेगम ने कहा है कि वह अपने किए के लिए 'दिल से माफी मांगती हैं.' उसने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) से गुहार लगाई है कि उसे ब्रिटिश न्याय प्रणाली का सामना करने का एक मौका दिया जाए. सीरिया के अली रोज शरणार्थी शिविर से बुधवार को 'गुडमार्निंग ब्रिटेन' कार्यक्रम के लिए पहली बार दिए साक्षात्कार में 22 साल की शमीमा ने ये बातें कही हैं.

उसने कहा कि वह किसी भी सजा को स्वीकार करने को तैयार है बशर्ते उसके मामले की सुनवाई ब्रिटिश अदालत में हो और वह 'आईएसआईएस में दोबारा जाने के बजाय मरना स्वीकार करेगी.' शमीमा ने ब्रिटेन में आतंकवाद का मुकाबला करने में मदद की भी पेशकश की है.' उसने जोर देकर कहा कि उसे तैयार किया गया और उसका फायदा उठाया गया और तथ्यों में हेरफेर किया गया (Shamima Begum Appeal). आतंकवादी संगठन में उसकी भूमिका केवल 'मां और पत्नी' की थी.
बताया क्यों ISIS से जुड़ी
शमीमा ने कहा, 'जिस वजह से मैं सीरिया आई थी वह हिंसा नहीं थी. उस समय मैं नहीं जानती थी कि यह मौत का रास्ता है. मेरा विचार है था कि यह मुस्लिम समुदाय है, जिससे मैं जुड़ने आई थी.' उसने आतंकवादी गतिविधियों से संबंध होने के दावे पर कहा, 'मेरी इच्छा अदालत जाने और उन लोगों का सामना करने की है, जिन्होंने ये दावे किए हैं और उन दावों का खंडन करने की है क्योंकि मैं जानती हूं कि इस्लामिक स्टेट (Islamic State) में मैंने कुछ नहीं किया बल्कि वहां मां और पत्नी की भूमिका में रही. ये दावे मुझे बुरा दिखाने के लिए किए गए क्योंकि सरकार के पास मेरे खिलाफ कुछ नहीं है.'
ब्रिटिश नागरिकता रद्द हुई थी
शमीमा साक्षात्कार देते वक्त बेसबॉल खेल के दौरान पहने जाने वाली टोपी और पश्चिमी कपड़ों में दिखी. उसने सुर्खियों में आने के लिए हिजाब हटाने के आरोपों से इनकार किया. गौरतलब है कि शमीमा 2015 में इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए सीरिया गई थी (Shamima Begum in Syria). उस समय वह स्कूल में पढ़ रही थी और जटिल कानूनी लड़ाई के बाद तत्कालीन गृहमंत्री साजिद जाविद ने उसकी ब्रिटिश नागरिकता रद्द की थी.

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