नोमपेन्ह भारत और कंबोडिया (Cambodia) ने शनिवार को यहां वन्य जीव संरक्षण, संस्कृति और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग के चार सहमति- पत्रों पर हस्ताक्षर किए जिनमें एक समझौता कंबोडिया को संरक्षण के लिए बाघ देने और बाघों की आबादी (Tiger population) बढ़ाने में सहयोग का समझौता है। कंबोडिया की यात्रा पर आए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन की यहां हुई द्विपक्षीय बैठक के बाद दोनों पक्षों की ओर से इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
भारत के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और कंबोडिया के जैव विविधता समरक्षण संरक्षण एवं स्वस्थ वन्यजीव-प्रबंधन मंत्रालय के बीच हुए एक करार के तहत भारत कंबोडिया में पुनः बाघों को आबाद करने में सहयोग करेगा और उसे इसके लिए बाघ उपलब्ध कराएगा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी वर्ष सितंबर में मध्यप्रदेश में कूनो अभयारण्य में नामीबिया से मंगाए गए कुछ चीते छोड़े थे ताकि देश में इस लुप्त वन्य जीव को आबाद किया जा सके।
उप राष्ट्रपति धनखड़ और कंबोडिया के प्रधानमंत्री सेन कि यह मुलाकात दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) की शिखर बैठकों के दौरान अलग से आयोजित की गई थी। बैठक के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर और कंबोडिया के उनके समकक्ष भी उपस्थित थे। इस बैठक में दोनों नेताओं के बीच मानव संसाधन विकास, बारूदी सुरंग हटाने और विकास की कुछ परियोजनाओं पर द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने को लेकर बातचीत हुई। धनकड़ और प्रधानमंत्री हुन सेन की उपस्थिति में दोनों देशों के अधिकारियों ने संस्कृति वन्य जीव संरक्षण और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग के 04 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इनमें एक समझौता दोनों देशों के स्वास्थ्य मंत्रालयों (Ministries of Health) के बीच चिकित्सा और औषधि क्षेत्र में सहयोग के विस्तार के लिए है। एक अन्य समझौते के तहत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर, कंबोडिया के इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को सांस्कृतिक विरासत की चीजों के अभिलेख तैयार करने में डिजिटल प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के क्षेत्र में सहयोग करेगा।
सांस्कृतिक क्षेत्र में सहयोग के एक अन्य करार के तहत भारत कंबोडिया के सीनरी प्रांत में "वाट राजा बो" पगोड़ा के संरक्षण में सहयोग करेगा। अंकोरवाट मंदिर क्षेत्र में पुरातत्व संरक्षण कार्य में लगे भारत के अधिकारियों ने बताया कि इस मंदिर में रामायण और महाभारत के आख्यान पर केंद्रित पेंटिंग्स का विशाल संग्रह है जिसे संरक्षण की जरूरत है। अधिकारियों ने बताया कि भारत इस काम के लिए भारत वित्तीय संसाधन और सहायता उपलब्ध कराएगा।