श्रीलंकाई संसद को अधिक शक्ति देने पर कल निर्णय लेगी कैबिनेट
सरकार को अपने खिलाफ प्रदर्शनों पर काबू पाने के लिए थोड़े ही अंतराल में देश में दो बार आपातकाल लगाना पड़ा है।
श्रीलंका में राष्ट्रपति की शक्तियों में कटौती तथा संसद को अधिक अधिकार देने के प्रस्ताव पर बात आगे बढ़ी है। देश के न्याय मंत्री ने रविवार को बताया कि संविधान में 21वें संशोधन के प्रस्ताव को सोमवार को कैबिनेट से हरी झंडी मिल सकती है। इसके जरिये संविधान के 20वें संशोधन को निरस्त किया जाएगा, जिसमें राष्ट्रपति को संसद से ज्यादा शक्तियां प्रदान की गई हैं। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने गत आम चुनावों में मिली जीत के बाद संविधान के 19वें संशोधन को निरस्त कर दिया था, जो संसद को अधिक शक्तियां प्रदान करता है।
समाचार पोर्टल न्यूज फर्स्ट ने न्याय मंत्री डा. विजयदास राजपक्षे के हवाले से बताया कि संविधान में 21वें संशोधन के बाद दोहरी नागरिकता रखने वालों के लिए संसद की सदस्यता असंभव हो जाएगी। देश के आर्थिक संकट व राजनीतिक अस्थिरता के लिए जिम्मेदार ठहराए जा रहे गोटाबाया ने वर्ष 2019 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से पहले अमेरिका की नागरिकता छोड़ दी थी। मंत्री ने बताया कि संविधान संशोधन में राष्ट्रीय आडिट आयोग व खरीद आयोग को स्वतंत्र आयोग घोषित करने का प्रस्ताव है। इससे मौजूदा आयोगों को और शक्तियां हासिल होंगी। इसके अलावा, सेंट्रल बैंक के गवर्नर की नियुक्ति का अधिकार संवैधानिक परिषद को देने का भी प्रस्ताव है।
उल्लेखनीय है कि श्रीलंका इस समय अभूतपूर्व आर्थिक संकट से गुजर रहा है। देश की बड़ी आबादी के पास खाने-पीने की चीजों भी उपलब्ध नहीं हैं। लोग सड़कों पर हैं और सरकार को अपने खिलाफ प्रदर्शनों पर काबू पाने के लिए थोड़े ही अंतराल में देश में दो बार आपातकाल लगाना पड़ा है।