2035 तक चंद्रमा पर मिलकर बनाएंगे रिसर्च सेंटर, स्पेस में भी अमेरिका को घेरने के लिए साथ आए रूस-चीन
स्पेस में भी अमेरिका को घेरने के लिए साथ आए रूस-चीन
पेइचिंग : अब देशों के बीच स्पेस की रेस (Race of Space) सिर्फ चंद्रमा पर कदम रखने को लेकर नहीं है। सभी की नजरें अब अंतरिक्ष में निर्माण कार्य करने पर हैं। फिलहाल एक बड़ा मुकाबला अमेरिका और चीन के बीच देखने को मिल रहा है। चीन ने पुष्टि की है कि वह रूस के साथ मिलकर 2035 तक चंद्रमा पर एक रिसर्च सेंटर (Research Center on Moon) का निर्माण करेगा, जो अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (US Space Agency NASA) के लूनर गेटवे को टक्कर देगा।
चीन की स्पेस एजेंसी चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (CNSA) के अधिकारियों ने शुक्रवार को इंटरनेशनल लूनर रिसर्च स्टेशन (ILRS) बनाने की योजना की पुष्टि की। सीएनएसए के उप निदेशक वू यानहुआ ने पेइचिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि रूस और चीन का लक्ष्य 2035 तक आईएलआरएस के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण पूरा करना है।
मिशन में शामिल ऑर्बिटर, बेस और ढेर सारे रोवर्स
ILRS नासा के लूनर गेटवे को टक्कर देगा, जो अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के आगामी आर्टेमिस प्रोग्राम में 'महत्वपूर्ण' भूमिका निभाने के लिए तैयार है। हालांकि, नासा का लूनर गेटवे केवल चंद्रमा की परिक्रमा करेगा, वहीं ILRS में परिक्रमा के साथ-साथ चंद्रमा की सतह पर एक बेस भी शामिल होगा, साथ ही कई खोजी रोवर्स भी इसमें हिस्सा लेंगे। ब्लूमबर्ग क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक रूस और चीन का अगला लक्ष्य चंद्रमा पर बुनियादी ढांचे का निर्माण है जिसमें ऊर्जा, संचार और लाइफ-सपोर्टिंग सिस्टम शामिल हैं।
अन्य देश भी बन सकते हैं अंतरिक्ष कार्यक्रम का हिस्सा
आईएलआरएस प्रोजेक्ट के दरवाजे अन्य देशों के लिए भी खुले हैं। वू ने कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों की व्यापक भागीदारी का स्वागत करते हैं। इस परियोजना मार्च 2021 में एक समझौता ज्ञापन पर रूस और चीन के अधिकारियों के हस्ताक्षर के साथ शुरू हुई थी। इससे पहले रूस ने नासा के गेटवे प्रोग्राम में शामिल होने की इच्छा जाहिर की थी। 27 सितंबर 2017 को रूस की स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस और नासा ने एक अनौपचारिक बयान भी जारी किया था। लेकिन रूस ने जनवरी 2021 में घोषणा की थी कि वह इसका हिस्सा नहीं बनेगा।