क्रूर: यूक्रेन पर हमले को लेकर क्या पुतिन की होगी गिरफ्तारी? सड़कों पर नरसंहार
Russia-Ukraine War: यूक्रेन के बूचा शहर से डराने वाली तस्वीरें सामने आ रहीं हैं. यूक्रेन का दावा है कि बूचा में रूसी सेना ने आम नागरिकों की हत्या की है. मारे गए लोगों के शव सड़कों पर ही पड़े हुए हैं. इनकी कई तस्वीरें भी सामने आई हैं, जो विचलित करती हैं. इन तस्वीरों के सामने आने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इसे 'नरसंहार' बताया है.
यूक्रेन का बूचा शहर राजधानी कीव से सटा हुआ है. यहां से रूसी सेना लौट चुकी है. अब यहां यूक्रेन की सेना का नियंत्रण हो गया है. यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने फेसबुक पर पोस्ट कर दावा किया है कि रूसी सेना ने लोगों के हाथ बांधकर उनके सिर पर गोली मारी है.
बूचा के डिप्टी मेयर टारस शप्रावस्की ने दावा किया है कि यहां 300 से ज्यादा शव मिले हैं. इनमें से 50 शव ऐसे हैं, जिनके साथ बर्बरता की गई है. हालांकि, रूस ने यूक्रेन के इन सभी दावों को 'प्रोपेगैंडा' बताया है.
बूचा शहर से ऐसी तस्वीरें सामने आने के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को 'वॉर क्रिमिनल' कहा जा रहा है. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भी रूस पर 'नरसंहार' का आरोप लगाते हुए रूस पर सख्त से सख्त प्रतिबंध लगाने की मांग की है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, 'आपने देखा, बूचा में क्या हुआ. पुतिन एक वॉर क्रिमिनल हैं.' बाइडेन यहीं नहीं रुके. उन्होंने ये भी कहा कि पुतिन पर वॉर क्रिमिनल का मुकदमा चलाया जाना चाहिए.
क्या नागरिकों का मारना 'वॉर क्राइम' होता है?
- 1939 से 1945 तक दूसरा विश्व युद्ध हुआ. भयंकर तबाही मची. साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा लोग मारे गए. परमाणु बम का इस्तेमाल भी हुआ. दूसरे विश्व युद्ध जैसी तबाही फिर से न हो, इसके लिए 1949 में स्विट्जरलैंड के जेनेवा में दुनियाभर के नेता एकजुट हुए. इसे जेनेवा कन्वेंशन कहा जाता है.
- जेनेवा कन्वेंशन के दौरान युद्ध के कुछ नियम तय किए गए. नियमों में तय हुआ कि युद्ध के दौरान आम नागरिकों को टारगेट नहीं किया जाएगा और अगर ऐसा होता है तो इसे 'वॉर क्राइम' माना जाएगा.
- कानूनी विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर जंग में किसी सैन्य ठिकाने को टारगेट किया जाता है और उसमें कई सारे आम नागरिकों की मौत हो जाती है तो इसे भी वॉर क्राइम ही माना जाएगा.
- सेटन हॉल यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ में नेशनल सिक्योरिटी स्कॉलर और इंटरनेशनल क्रिमिल लॉ के जानकार जोनाथन हाफेत्ज ने न्यूज एजेंसी से कहा कि बूचा में कथित नागरिकों की हत्या 'वॉर क्राइम' है.
वॉर क्राइम है, ये कैसे तय होगा?
- वॉर क्राइम के मामलों का मुकदमा इंटरनेशनल क्रिमिल कोर्ट में चलता है. इसका हेडक्वार्टर नीदरलैंड्स के हेग में है. यूक्रेन ने पहले ही रूस के खिलाफ आईसीसी में केस दायर किया है. रूस के खिलाफ वॉर क्राइम या युद्ध अपराधों की जांच आईसीसी के चीफ प्रॉसिक्यूटर करीम खान कर रहे हैं.
- एक्सपर्ट बताते हैं कि जांचकर्ता बूचा जाकर गवाहों के बयान दर्ज कर सकते हैं. मानवाधिकार पर काम करने वाली संस्था ओपन सोसायटी जस्टिस इनिशिएटिव के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर जेम्स गोल्डस्टन ने न्यूज एजेंसी को बताया कि बूचा से सामने आईं कथित तस्वीरें और न्यूज रिपोर्ट्स जांचकर्ताओं को वहां जाने की इजाजत देती है.
- इसके अलावा यूक्रेनी सेना ने कुछ रूसी सैनिकों को भी बंधक बनाने का दावा किया है, उनके बयान भी लिए जा सकते हैं. हालांकि, कुछ एक्सपर्ट ये भी मानते हैं कि वॉर जोन में जाकर आम लोगों के बयान लेना मुश्किल भी हो सकता है क्योंकि लोग कुछ भी बोलने से डर सकते हैं.
क्या सीधे पुतिन पर चल सकता है केस?
- हार्वर्ड लॉ स्कूल के विजिटिंग प्रोफेसर एलेक्स व्हाइटिंग ने न्यूज एजेंसी से कहा कि जिस तरह की तस्वीरें सामने आईं हैं, उससे मुकदमा चलाना आसान हो जाएगा. हालांकि, वो ये भी कहते हैं कि सबसे बड़ा सवाल ये है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा?
- एक्सपर्ट मानते हैं कि सैनिकों और कमांडरों के खिलाफ केस चलाना ज्यादा आसान होगा, लेकिन जांचकर्ता राष्ट्राध्यक्ष को भी घेर सकते हैं.
- एक्सपर्ट बताते हैं कि यूक्रेन को इस बात का ठोस सबूत देना होगा कि पुतिन या किसी और बड़े नेता सीधे युद्ध का आदेश देकर युद्ध अपराध किया था या वो जानता था कि युद्ध अपराध हो रहे थे और वो उन्हें रोकने में नाकाम रहे.
- विशेषज्ञ मानते हैं कि अभी ये कहना जल्दबाजी होगी कि बूचा में जो कुछ हुआ, उसके निर्देश रूसी सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे लोगों से मिले थे. लेकिन अगर यूक्रेन में कहीं और भी इसी तरह के कथित अत्याचार सामने आते हैं तो फिर ये ऊंचे पदों पर बैठे लोगों की ओर इशारा कर सकता है.
- आईसीसी के चीफ प्रॉसिक्यूटर करीम खान ने 28 फरवरी को यूक्रेन में रूस के कथित युद्ध अपराधों की जांच करने की बात कही थी.
- यहां एक पेंच ये फंसता है कि रूस और यूक्रेन दोनों ही आईसीसी के सदस्य नहीं है. हालांकि, यूक्रेन ने 2013 में आईसीसी को अपने यहां जांच की इजाजत दी थी.
- अगर प्रॉसिक्यूटर, इस मामले में यूक्रेन वॉर क्राइम होने के 'सही सबूत' दे देता है तो आईसीसी अरेस्ट वॉरंट जारी कर सकता है. लेकिन रूस आईसीसी का सदस्य नहीं है, इसलिए इस जांच में उसका सहयोग करना लगभग नामुमकिन है.
तो फिर क्या रास्ता है?
- आईसीसी अगर अरेस्ट वॉरंट जारी कर भी देता है, तो भी मुकदमा तब तक शुरू नहीं हो सकता, जब तक आरोपी को हिरासत में न लिया गया हो या वो फिजिकली रूप से मौजूद न हो.
- विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामले में आईसीसी से हटकर एक अलग ट्रिब्यूनल को सेट अप किया जा सकता है. 1990 के बाल्कन युद्ध और 1994 के रवांडा नरसंहार के समय ऐसा ही किया गया था.
- यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर फिलिप सैंड्स ने न्यूज एजेंसी को बताया कि वो एक अलग से ट्रिब्यूनल सेट अप करने को लेकर यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबो के संपर्क में हैं.
- वहीं, अमेरिकन यूनिवर्सिटी में लॉ प्रोफेसर रेबेका हैमिल्टन बताते हैं कि कोई भी ट्रिब्यूनल बिना किसी आरोपी को हिरासत में लिए कोई ट्रायल शुरू नहीं कर सकता. अगर ऐसा होता है तो अंतरराष्ट्रीय कानून का पेंच फंस जाएगा.
क्या कभी किसी राष्ट्रध्यक्ष पर चला है केस?
- 28 फरवरी 1998 से 11 जून 1999 तक सर्बिया के कोसोवो में एक युद्ध लड़ा गया. ये युद्ध कोसोवो लिबरेशन आर्मी और युगोस्लाविया की सेना के बीच हुआ. युद्ध से पहले कोसोवो सर्बिया का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन बाद में ये अलग देश बन गया.
- एक साल 3 महीने तक चले इस युद्ध में जमकर तबाही मची. हजारों नागरिक मारे गए. ऐसा कहा जाता है कि आज भी हजारों नागरिक लापता है. इस युद्ध को करने पर युगोस्लाविया के तब के राष्ट्रपति स्लोबोदान मिलोसेविक के खिलाफ आईसीसी में केस चलाया गया.
- स्लोबोदान के खिलाफ 1999 में केस दायर किया गया. 2001 में उन्हें हिरासत में ले लिया गया. उनके खिलाफ 2002 में केस शुरू हुआ. 11 मार्च 2006 को स्लोबोदान का शव सेल में मिला. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में आया कि स्लोबोदान की मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई.