ब्रिटिश टाइफून ने इराक में किया हमला, ISIS के ठिकानों पर दागी घातक स्टॉर्म शैडो मिसाइल

ब्रिटेन की रॉयल एयरफोर्स ने इराक

Update: 2021-03-16 15:09 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: ब्रिटेन की रॉयल एयरफोर्स ने इराक में खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस के ठिकानों पर अपने टाइफून लड़ाकू विमानों से जमकर कहर बरपाया है। पहली बार ऐसा हुआ है कि जब ब्रिटिश एयरफोर्स ने किसी युद्ध में दुनिया की सबसे घातक मिसाइलों में शुमार स्टॉर्म शैडो क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल किया है। इस मिसाइल को स्कैल्प के नाम से भी जाना जाता है। इस घातक मिसाइल को भारत ने भी राफेल लड़ाकू विमान में इस्तेमाल करने के लिए खरीदा है। इस मिसाइल के हमले में गुफाओं में छिपे आईएसआईएस के कई आतंकी मारे गए हैं। बताया जा रहा है कि यह हमला आईएसआईएस के खिलाफ जारी ब्रिटिश मिलिट्री की 'Operation Shader' के अंतर्गत किया गया है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने इराक के इरबिल के दक्षिण-पश्चिम में गुफाओं के भीतर छिपे आतंकियों के खिलाफ किए गए इन हमलों की पुष्टि की है। मंत्रालय ने कहा कि टाइफून ने स्ट्राम शैडो मिसाइल के अलावा लेजर-गाइडेड पाववे-4 बम भी दागा है। बताया जा रहा है कि यह पहला मौका है जब दुनिया के सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमानों में से एक टाइफून एफजीआफ4 लड़ाकू विमान ने स्टॉर्म शैडो मिसाइल को किसी जंग के दौरान फायर किया है। इससे पहले यह मिसाइल ब्रिटिश एयरफोर्स के रिटायर्ड टॉरनेडो जीआर4 स्ट्राइक एयरक्राफ्ट में मुख्य हथियार के रूप में इस्तेमाल होती थी।

स्टॉर्म शैडो के कहर से नहीं बच पाए ISIS के आतंकी
इराकी सुरक्षाबलों ने इरबिल की एक गुफा में बड़ी संख्या में आईएसआईएस के आतंकियों की मौजूदगी का पता लगाया था। जिसके बाद 10 मार्च को इराकी काउंटर-टेररिज्म सर्विस ने पूरे क्षेत्र की निगरानी कर यह पक्का किया कि इस इलाके में कोई आम नागरिक तो मौजूद नहीं है। जब सारी सूचनाए मिल गई उसके बाद ब्रिटिश एयरफोर्स ने 11 मार्च को इन आतंकियों पर हमला करने के लिए स्टॉर्म शैडो मिसाइल को सबसे उपयुक्त हथियार के रूप में चुना। साइप्रस में स्थिति ब्रिटिश एयरफोर्स के बेस RAF Akrotiri पर तैनात दो टाइफून एफजीआर4 लड़ाकू विमानों को इस हमले का आदेश दिया गया। जिसके बाद इन लड़ाकू विमानों ने आईएसआईएस के ठिकाने पर मिसाइलों और बमों के कहर मचा दिया। ग्राउंड पर मौजूद इराकी काउंटर-टेररिज्म सर्विस (सीटीएस) ग्राउंड फोर्स के अधिकारियों ने बताया कि इस हमले में आईएसआईएस के कई आतंकी मारे गए, जबकि गुफा पूर्ण रूप से बर्बाद हो गई। बताया जा रहा है कि ब्रिटेन के टाइफून लड़ाकू विमानों ने इसी इलाके में 11 मार्च को ही दो अन्य स्थानों पर भी हवाई हमले किए थे। इन हमलों में 226 किलोग्राम की छह पाववे-4 लेजर गाइडेड बम भी दागा।
ब्रिटिश टाइफून ने इराक में बरपाया कहर
इसके अलावा 12 मार्च को इसी इलाके में दूसरे गुफाओं को निशाना बनाते हुए ब्रिटेन के टाइफून विमानों ने आठ पाववे-4 लेजर गाइडेड बम दागे। इसके दो दिन बाद ब्रिटिश एयरफोर्स ने कई अन्य ठिकानों पर छह पाववे-4 लेजर गाइडेड बम फायर किए। ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने कहा कि हर हमले के पहले हमारी एयरफोर्स ने इस बात की पूरी सावधानी बरती है कि हमले को अंजाम देने से पहले और उसके बाद में कोई आम नागरिक हताहत न हो। बताया जा रहा है कि हाल के दिनों में इराक में अपने आतंकरोधी अभियान को कम करने पर आलोचनाओं में घिरी ब्रिटिश फोर्स ने इस ऑपरेशन के जरिए फिर से तहलका मचा दिया है। इससे पहले ब्रिटेन के टारनेडो लड़ाकू विमान ने 2003 में इराक के आक्रमण के शुरुआती चरणों के दौरान स्टॉर्म शैडो मिसाइल को फायर किया था। 011 में लीबिया के हवाई अभियान के दौरान टाइफून ने ब्रिमो प्रिसिजन एंटी-आर्मर मिसाइल का उपयोग किया था।
कितनी खतरनाक है स्टॉर्म शैडो क्रूज मिसाइल
स्टॉर्म शैडो क्रूज मिसाइल को ब्रिटिश और फ्रेंच कंपनियों ने लड़ाकू विमानों से फायर करने के लिए विकसित किया है। इस मिसाइल को पहली बार साल 1994 में मात्रा और ब्रिटिश एयरोस्पेस ने मिलकर बनाया था, जिसे अब फ्रेंच कंपनी एमबीडीए बना रही है। दरअसल, स्टॉर्म शैडो इस मिसाइल का ब्रिटिश नाम है, बाकी दुनिया में इसे स्कैल्प ईजी (SCALP EG) के नाम से जाना जाता है। इस मिसाइल को एमबीडीए अपाचे एंटी रनवे मिसाइल के आधार पर विकसित किया गया है। ब्रिटिश एयरफोर्स में यह मिसाइल साल 2002 से सर्विस में है। 1300 किलोग्राम के इस मिसाइल की लंबाई 5.1 मीटर, जबकि मोटाई .48 मीटर है। यह मिसाइल 450 किलोग्राम के विस्फोटक को ले जाने में सक्षम है। यह मिसाइल 30 से 40 मीटर की ऊंचाई पर 1000 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम स्पीड से उड़ते हुए 560 किलोमीटर तक की रेंज में दुश्मनों के पक्के निर्माण, बंकर या गुफाओं को बर्बाद कर सकती है।
दुनिया का सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमान है टाइफून
ब्रिटेन की रॉयल एयरफोर्स में शामिल यूरोफाइटर टाइफून की गिनती दुनिया के सबसे शक्तिशाली लड़ाकू विमानों में की जाती है। यह मल्टीरोल फाइटर और एयरसुपीरियॉरिटी एयरक्राफ्ट है। इस लड़ाकू विमान को यूरोप के कई देशों ने मिलकर बनाया हुआ है। इस लड़ाकू विमान ने 27 मार्च 1994 को अपनी पहली उड़ान भरी थी। जिसके बाद से यह ब्रिटिश एयरफोर्स, जर्मन एयरफोर्स, इटैलियन एयरफोर्स, स्पेनिस एयरफोर्स, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब सहित दुनियाभर के कई देशों में सर्विस दे रहा है। इस लड़ाकू विमान की टॉप स्पीड 2495 किलोमीटर प्रतिघंटा की है, जो एक बार की उड़ान में 2900 किलोमीटर तक की दूरी को तय कर सकता है। अक्टूबर 2020 तक यूरोफाइटर टाइफून के 571 यूनिट का निर्माण किया जा चुका है।


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