ब्रिटेन के वैज्ञानिकों के हाथ लगा 460 करोड़ों साल पुराना 'खजाना', पृथ्वी से भी पुराना, खोल सकता है जीवन के राज
अंतरिक्ष से आए इस उल्कापिंड को सबसे पुराना पत्थर बताया जा रहा है
अंतरिक्ष से आए इस उल्कापिंड को सबसे पुराना पत्थर बताया जा रहा है. करीब 300 ग्राम का यह पत्थर इंग्लैंड के ग्लोस्टशायर के एक गांव के पास मिला है. ईस्ट एंग्लियन एस्ट्रोफिजिकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (EAARO) में एस्ट्रोकेमिसिट्री के प्रोफेसर डेरेक रॉबसन ने इसे खोजा है. इस साल फरवरी के अंत में वह अपनी टीम के साथ उल्कापिंड के टुकड़ों की तलाश में निकले थे. EAARO
डेरेक रॉबसन और उनकी टीम लैब में इस उल्कापिंड के बारे में अध्ययन करने में लगी हैं. माना जा रहा है कि यह उल्कापिंड 17.7 करोड़ किलोमीटर का सफर तय करके धरती पर आया है और इसका असली घर मंगल या जूपिटर हो सकता है. मगर विशेषज्ञों की दिलचस्पी इसके सफर से ज्यादा इसकी उम्र को लेकर है. माना जा रहा है कि यह उल्कापिंड हमारे सौरमंडल के निर्माण से भी पहले का है. EAARO
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस पत्थर से धरती पर जीवन की उत्पत्ति के कई राज खुल सकते हैं. EAARO ने बयान में कहा कि ऐसा लग रहा है कि यह थर्मल मेटाफोरफिजम से नहीं गुजरा है और लंबे समय से यहीं पर है. मंगल या किसी अन्य ग्रह के निर्माण से भी पहले से यह अनछुआ यहां पड़ा हुआ है. EAARO
इससे पहले वैज्ञानिकों को मार्च में भी इतना ही पुराना उल्कापिंड मिला था. यह उल्कापिंड पिछले साल सहारा के रेगिस्तान में मिला था. इस पत्थर को EC002 नाम दिया गया था. EAARO
फ्रांस और जापान के वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पत्थर कभी तरल लावा था, लेकिन बाद में ठंडा होकर यह ठोस हो गया. करीब एक लाख साल में यह तरल से ठोस बनकर करीब 31 किलो का पत्थर बन गया. EAARO
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि इस तरह के तत्वों वाला उल्कापिंड आज तक नहीं मिला है क्योंकि या तो वे बहुत विशाल रूप ले लेते थे या फिर नष्ट हो जाते थे. EAARO
इस उल्कापिंड में कई तरह के मिनरल्स और तत्व मौजूद हैं. इस उल्कापिंड का बड़ा हिस्सा ओलिविन और फाइलोसिलिकेट्स जैसे खनिजों से मिलकर बना हुआ है. EAARO