ब्रिटेन की विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रूस, चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए होगा बड़ा कदम
ब्रिटेन की विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रूस ने कहा है कि वह भारत के साथ व्यापार और सुरक्षा से जुड़े समझौते होते देखना चाहती हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनियाभर में हाल ही में हुए ऑकस समझौते को लेकर काफी चर्चा की गई. यह समझौता ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन के बीच हुआ है. इसे हिंद-प्रशांत और दूसरे क्षेत्रों में चीन को चुनौती देने वाले गठबंधन के रूप में भी देखा गया. ऑकस के बाद ऐसी चर्चा भी हुई कि भारत और जापान को इससे बाहर क्यों रखा गया है, क्योंकि ये दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indian-Pacific Region) की सुरक्षा और वहां बढ़ते चीनी प्रभाव को रोकने के लिए काफी अहम हैं. इसी से जुड़े मसले पर अब ब्रिटेन ने कहा है कि वह भारत और दूसरे देशों के साथ भी समझौता करना चाहता है.
विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रूस (Elizabeth Truss) ने रविवार को कहा कि ब्रिटेन रणनीतिक रूप से अहम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत और अन्य लोकतांत्रिक देशों के साथ व्यापार और सुरक्षा को लेकर समझौता करना चाहता है. ट्रूस विदेश मंत्री का पदभार संभालने से पहले अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सचिव के तौर पर फ्यूचर फ्री ट्रेड अग्रीमेंट (एफएफटीए) पर भारत के साथ हुई बातचीत की प्रभारी थीं. इसके साथ ही वह ऑकस की तर्ज पर और अधिक डील करने की इच्छुक हैं.
भारत सहित तीन देशों का लिया नाम
ट्रूस ने कहा, 'हम अर्थव्यवस्था और सुरक्षा से जुड़े और अधिक समझौते करने के लिए अपने दोस्तों और सहयोगियों के साथ काम करना चाहते हैं (What is AUKUS Deal). ऑकस विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार मार्गों और शिपिंग मार्गों की रक्षा से जुड़ा है, लेकिन मैं इसी तरह के बाकी क्षेत्रों में सुरक्षा का विस्तार करने के लिए भारत, जापान और कनाडा के साथ काम होते देखना चाहती हूं.' एलिजाबेथ ट्रूस ने विदेश मंत्री के तौर पर दिए पहले इंटरव्यू में ये बातें कही हैं.
ट्रूस ने ब्रिटेन को बताया भरोसेमंद
विदेश मंत्री ने कहा, 'कुछ देशों के साथ हम दूसरों की तुलना में अधिक गहरी सुरक्षा व्यवस्था करने में सक्षम होंगे. दो साल तक व्यापार सचिव रहने के बाद एक बात मुझे पता चली कि ब्रिटेन पर बहुत भरोसा किया जाता है (UK India Defence Pact). लोग जानते हैं कि हम भरोसेमंद हैं और जब हम कहते हैं कि हम कुछ करेंगे तो हम करेंगे, हम नियमों का पालन करते हैं.' जब उनसे क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, वह बहुत अधिक 'स्वतंत्रता बढ़ा' रहे हैं. उनके कहने का मतलब था कि चीन इस इलाके पर कुछ ज्यादा ही प्रभाव बढ़ा रहा है.