भारत के समर्थन में आए ब्रिटेन और कनाडा, किसानों के प्रदर्शन को लेकर कई सांसदों ने कही ये बड़ी बात
मोदी सरकार के नए कृषि कानून के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन छठवें दिन भी जारी है.
जनता से रिश्ता वेबडेसक| मोदी सरकार के नए कृषि कानून के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन छठवें दिन भी जारी है. दो महीने तक पंजाब में प्रदर्शनों के बाद किसानों ने दिल्ली का कूच किया. सभी किसान संगठनों की एक ही मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरकार पुख्ता वादा करे और इसे कानून में शामिल करे. किसान संगठनों को डर है कि मंडी से बाहर आते ही MSP पर असर पड़ेगा और धीरे-धीरे ये खत्म हो जाएगी. पंजाब के किसानों के आंदोलन के साथ-साथ कई अन्य राज्यों के किसान भी धीरे-धीरे जुड़ रहे हैं, वहीं, इस विरोध-प्रदर्शन को ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका के कई सांसदों का भी समर्थन मिल रहा है.
ब्रिटेन के लेबर पार्टी के सांसद और रेल मंत्री तनमनजीत सिंह ने ट्वीट किया, ये बहुत ही अलग तरह के लोग हैं जो अपना दमन करने वाले लोगों का भी पेट भरते हैं. मैं पंजाब और भारत के बाकी राज्यों के किसानों, अपने दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ खड़ा हूं जो #FarmersBill2020 के तहत होने वाले निजीकरण का विरोध कर रहे हैं.
लेबर पार्टी के ही सांसद जॉन मैकडोनल ने तनमनजीत सिंह का समर्थन किया और लिखा, शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रति दमनकारी रवैया अस्वीकार्य है और ये भारत की छवि को खराब करता है.
लेबर पार्टी की एक अन्य सांसद प्रीत कौर गिल ने ट्वीट किया, दिल्ली से हैरान करने वाले दृश्य. किसान अपनी आजीविका को प्रभावित करने वाले विवादित बिल का शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन उन्हें चुप कराने के लिए पानी की तेज बौछार और आंसू के गोलों का इस्तेमाल किया जा रहा है. भारत में विवादित कानून को लेकर विरोध कर रहे नागरिकों के साथ बर्ताव का ये तरीका बिल्कुल सही नहीं है.
कनाडा में भी भारत के नए कृषि कानून की चर्चा हो रही है. कनाडा में जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद इसे लेकर ज्यादा मुखर हैं. न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख जगमीत सिंह ने ट्वीट किया, शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ भारत सरकार की हिंसा बेहद आहत करने वाली है. मैं पंजाब और भारत के किसानों के साथ खड़ा हूं. मैं भारत सरकार से अपील करता हूं कि हिंसा के बजाय शांतिपूर्ण बातचीत का रास्ता अपनाए.
सेंट जॉन ईस्ट से सांसद जैक हैरिस ने भी भारत के नए कृषि कानून को लेकर ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, हम ये देखकर हैरान हैं कि आजीविका पर संकट देखकर प्रदर्शन कर रहे किसानों का भारत सरकार दमन कर रही है. वाटर कैनन और आंसू के गोले की बजाय भारत सरकार को किसानों के साथ सीधी बातचीत करनी चाहिए.
ओंटारियो में विपक्ष की नेता एंड्रू हॉरवात ने ट्वीट किया, मैं भारत में शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे किसानों और ओंटैरियो से इस दमन को देख रहे उनके परिजनों के साथ खड़ी हूं. हर किसी को सरकार समर्थित हिंसा के डर के बिना अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का इस्तेमाल करने की आजादी होनी चाहिए.
कनाडा के ब्रैम्पटन ईस्ट से सांसद गुर रतन सिंह ने सदन में भी भारतीय किसानों के प्रदर्शन का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा, भारत में किसानों पर हमला हो रहा है.. इसलिए मैं सदन से भारत सरकार के इस अन्यायपूर्ण कानून के खिलाफ किसानों का साथ देने की अपील करता हूं.
ब्रैम्पटन के नेता केविन यारडे और सारा सिंह ने भी नए कृषि कानून का विरोध किया. ब्रैम्पटन सेंटर की एमपीपी सारा सिंह ने ट्वीट किया, पंजाब के एक किसान की पोती होने के नाते मैं किसानों के साथ खड़ी हूं क्योंकि वे अपनी आजीविका बचाने के लिए एक नुकसानदायक कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. ब्रिटेन और कनाडा की तरह अमेरिका में किसानों के आंदोलन को लेकर बहुत ज्यादा चर्चा तो नहीं हो रही है लेकिन गिने-चुने सांसद अपनी राय जरूर रख रहे हैं. रिपब्लिकन पार्टी की सदस्य और वकील हरमीत के ढिल्लन ने ट्विटर पर पीएम मोदी से अपील करते हुए लिखा, पंजाब के किसान परिवार से होने के नाते, पंजाबी किसानों पर हमला होते देखकर मेरा दिल दुखी है. पीएम मोदी उन्हें सुनिए, उनसे मुलाकात करिए और इसका समाधान निकालिए. मेरे कई रिश्तेदार हैं जो पंजाब में खेती करते हैं. मुझे पूरा भरोसा है कि उन्हें अच्छी तरह पता है कि उनके लिए क्या सही है. भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में कम से कम उन्हें विरोध-प्रदर्शन करने और सुने जाने का अधिकार तो मिलना ही चाहिए.
ब्रिटेन और कनाडा में कई ऐक्टिविस्ट ग्रुप हैं जो भारत में किसानों के प्रदर्शन का समर्थन कर रहे हैं. सांसद जगमीत सिंह और तनमनजीत सिंह पहले भी कश्मीर और अल्पसंख्यकों के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार की आलोचना कर चुके हैं. हालांकि, ऐसा नहीं है कि सिर्फ पंजाबी मूल के लोग ही इन प्रदर्शन का समर्थन कर रहे हैं बल्कि जैक हैरिस, जॉन मैकडोनेल, केविन यारडे और एंड्रिया समेत तमाम नेताओं ने भारतीय किसानों का समर्थन किया है. हालांकि, अधिकतर नेता वहां के विपक्षी दलों से ही हैं.