सिर्फ कुछ सेकेंड्स में दुश्मन को ढेर कर सकती है ब्रह्मोस मिसाइल, पाकिस्तान के राष्ट्रपति को भी लगता है डर
हाल ही में बालाकोट एयर स्ट्राइक के दो वर्ष पूरे हुए हैं
हाल ही में बालाकोट एयर स्ट्राइक के दो वर्ष पूरे हुए हैं. इस मौके पर जहां भारत में जश्न का माहौल था तो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में घबराहट और चिंता थी. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के बयान से भी देश की घबराहट सामने आ गई. आरिफ अल्वी ने भारत की ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर डर का इजहार खुलेआम किया.
उन्होंने ब्रह्मोस-2 पर अपने डर के बारे में बयान दिया. पाक राष्ट्रपति बोले अब भारत के पास ब्रह्मोस-2 जैसी मिसाइल है जो कि बहुत ही खतरनाक है.आपको बता दें कि ब्रह्मोस मिसाइल को विशेषज्ञ पहले ही दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइल करार दे चुके हैं.
10 मिनट के अंदर पाकिस्तान में मचा सकती है तबाही
पाक राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने कहा था कि भारत ने हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-2 भी बना ली है. इस मिसाइल की स्पीड 8.5 मैक है यानी ये आवाज की गति से 8.5 गुना ज्यादा रफ्तार से चलती है.
उनकी मानें तो ब्रह्मोस बस 10 मिनट के अंदर पाकिस्तान में दाखिल हो सकती है और ऐसे में पाक को अपने दुश्मन के खिलाफ सुरक्षा घेरा मजबूत करना होगा. दरअसल पाक राष्ट्रपति आरिफ अल्वी का ब्रह्मोस को लेकर जताया गया डर बेवजह नहीं है.
सिर्फ कुछ सेकेंड्स में दुश्मन ढेर
ब्रह्मोस दुनिया की इकलौती मिसाइल है जिसे जमीन, हवा और पानी तीनों ही जगहों से लॉन्च किया जा सकता है. ब्रह्मोस-2 को इस समय भारत के सबसे खतरनाक हथियारों में रखा गया है. 9800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हमला करने वाली यह मिसाइल 1000 किलोमीटर की दूरी पर बैठे दुश्मन को कुछ सेकेंड्स में ही खत्म कर सकती है.
ब्रह्मोस को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह किसी भी वॉरशिप, पनडुब्बी, फाइटर जेट या फिर मोबाइल लॉन्चर की मदद से आसानी से फायर की जा सकती है. ब्रह्मोस-2 स्पीड के
मामले में अमेरिकी सेना की मिसाइल टॉमहॉक से चार गुना तेज है.
भारत और रूस का ज्वॉइन्ट वेंचर
इस मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर तैयार किया है. इसलिए ब्रह्मोस का नाम दोनों देशों की नदियों भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस को मोस्कवा से मिलकर बना है. यह मिसाइल रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की टेक्नोलॉजी पर डेवलप की गई है.
किसी वॉरशिप और जमीन से लांच होने पर यह मिसाइल 200 किलो वारॅहेड्स ले जा सकती है. वहीं अगर इसे किसी फाइटर जेट से लॉन्च किया जाए तो असानी से 300 किलो के हथियार ले जाने में सक्षम है. ब्रह्मोस-2 को इंटरसेप्ट करना बहुत मुश्किल है.
ब्रह्मोस को पहली बार 12 जून 2001 में इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से लांच किया गया. 12 जून 2004 को इस मिसाइल को एक मोबाइल लांचर के जरिए लांच किया गया. ब्रह्मोस इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के फाइटर जेट सुखोई में भी फिट हो गई है. इसके साथ ही आईएएफ और ज्यादा खतरनाक हो गई है.
ब्रह्मोस का नया वर्जन और ज्यादा खतरनाक
सिर्फ इतना ही नहीं भारत और रूस अब सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के नए वर्जन पर भी काम कर रहे हैं. नई ब्रह्मोस मिसाइल दुश्मन देश के एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम यानी अवाक्स के एयरक्राफ्ट भी ढेर कर सकेगी.
अवाक्स सिस्टम को उसके साइज और वजन के हिसाब से हैवी और मीडियम रेंज के एयरक्राफ्ट में फिट किया जाता है. यह सिस्टम दरअसल सर्विलांस के काम आता है. इसकी मदद से एयरक्राफ्ट के अंदर बैठे ऑपरेटर्स एक निश्चित दूरी तक फाइटर जेट्स और मिसाइलों पर नजर रखते हैं.