तेल के जहाज से जा टकराई यात्री से भरा नाव, नदी में डूबे 200 लोग, 110 की मौत, 63 लापता
जिनका कोई अता-पता नहीं चल पाया.
बांग्लादेश (Bangladesh) में नदियों (Rivers) का जाल बिछा हुआ है. यहां सैकड़ों की संख्या में नदियां बहती हैं. ऐसे में बड़ी संख्या में लोग एक-जगह से दूसरी जगह जाने के लिए नदियों का सहारा लेते हैं. इस कारण नदी में होने वाले नाव हादसों का खतरा भी बना रहता है. कभी संख्या से ज्यादा लोगों के नाव में सवार में डूबने तो कभी किसी अन्य नाव के दूसरी नाव को टक्कर मार देने के चलते यहां नदी हादसे होते रहते हैं. ऐसा ही एक हादसा आज के दिन 13 मार्च 2012 को हुआ था. जब एक यात्री नाव मालवाहक नाव से जा टकराई. इस हादसे में 110 लोगों की मौत हो गई, जबकि 63 लोग लापता हो गए.
आज के दिन शरीयतपुर 1 जहाज (Shariatpur 1 vessel) करीब 200 यात्रियों को लेकर मेघना नदी (Meghna river) से गुजर रहा था. इसी दौरान वह तेल ले जा रहे एक टैंकर से जा टकराया. टक्कर होने के कुछ क्षणों के भीतर ही जहाज तेजी से नदी में डूबने लगा. ये हादसा राजधानी ढाका (Dhaka) से 40 किलोमीटर दूर दक्षिणपश्चिम में हुआ. हादसे के दौरान नाव मुंशीगंज जिले से गुजर रही थी. नाव के टकराने के बाद चीख-पुकार मच गई और लोग अपनी जान बचाने के लिए शोर मचाने लगे.
नाव डूब रही थी और चीख-पुकार बढ़ रही थी
नाव धीरे-धीरे पानी में डूब रही थी और चीख-पुकार की आवाज बढ़ती जा रही थी. टक्कर इतनी जोरदार थी कि लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे. थोड़ी देर में लोगों ने किसी तरह खुद को संभाल तो लिया, लेकिन डूबता जहाज लोगों को मौत के मुंह की ओर खींच रहा था. लोग मदद के लिए चीख रहे थे, लेकिन उनकी तरफ मदद के लिए अभी कोई हाथ नहीं पहुंचा था. लोग धीरे-धीरे नदी में डूबने लगे. वहीं, कुछ लोगों ने तैरकर किनारे तक का सफर तय किया और अपनी जान बचाई. लेकिन बाकी के लोग इतने खुशनसीब नहीं थे.
21 मीटर नीचे डूबी नाव में मिली दर्जनों लाशें
घटना की सूचना मिलते ही बचाव दल मौके पर पहुंचा और नदी के भीतर से लोगों को बचाना शुरू किया. टक्कर इतनी जोरदार थी कि नाव टूटकर नदी में 21 मीटर नीचे तक डूब गई थी. बचाव दल ने मुस्तैदी के साथ लोगों को बचाना शुरू किया. जो लोग सतह के ऊपर जिंदगी की जद्दोजहद में हाथ-पांव मारते हुए दिखाई दिए, उन्हें तुरंत रेस्क्यू कर किनारे पर भेजा गया. गोताखोरों की एक टीम डूबी हुई नाव के केबिन और लोअर डेक तक पहुंची और उसे वहां दर्जनों लाशें मिलीं. ये लोग तैर नहीं पाए थे और यहीं फंस कर मर गए.
63 लोग हुए लापता, जिनका नहीं चला आज तक कोई पता
नाव के डूबने की जानकारी मिलते ही सैकड़ों की संख्या में परिजन नदी के किनारे पहुंचने लगे. नदी से मारे गए लोगों की लाशों को निकाला जाता और उन्हें किनारे पर रख दिया जाता. यहां से परिजन शवों की पहचान करते और उन्हें इसे सौंप दिया जाता. करीब एक सप्ताह तक चले बचाव अभियान के बाद सौ से ज्यादा लाशों को नदी से निकाला गया. इनमें से अधिकतर लोगों की मौत डूबने से हो गई थी. बचाव दल ने बताया कि कुल मिलाकर 110 लोगों की मौत हुई, जबकि 63 लोग लापता हो गए. जिनका कोई अता-पता नहीं चल पाया.