नई दिल्ली: बुरे दौर से गुजर रहे पड़ोसी देश श्रीलंका में सियासी उबाल जोरों पर है. देशभर में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन चल रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद मंगलवार को श्रीलंका की संसद में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया. इसके साथ ही तय हो गया कि फिलहाल गोटबाया देश के राष्ट्रपति बने रहेंगे. इस सियासी घटनाक्रम के बाद अब वहां संविधान संशोधन की चर्चाएं तेज हो गई हैं.
दरअसल, श्रीलंका की बर्बादी का कारण राजपक्षे परिवार को ही माना जा रहा है. ऐसे में कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे अब संविधान संशोधन की तैयारी में हैं. माना ये जा रहा है कि 21वें संशोधन के जरिए 19वें संशोधन की बातों को ही बहाल किया जाएगा. इससे राष्ट्रपति की तमाम शक्तियां संसद, कैबिनेट और प्रधानमंत्री के पास चली जाएंगी. राष्ट्रपति की मनमानी पूरी तरह समाप्त हो जाएगी. बताया जा रहा है कि श्रीलंकाई संसद बहुत जल्द 21वें संविधान संशोधन पर विचार करेगी.
बता दें कि 2015 में श्रीलंका के संविधान में 19वां संशोधन किया गया था. 2020 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आने के बाद राजपक्षे परिवार ने 20वां संविधान किया था. इसके तहत 19वें संशोधन में जो ताकत राष्ट्रपति से छीनी गई थी, उन्हें फिर राष्ट्रपति के सौंप दिया गया. ये शक्तियां पहले से कहीं ज्यादा थीं. अब फिर से नई कवायद शुरू हो रही है.
वहीं, श्रीलंका की सरकार ने मंगलवार को संसद में दो महत्वपूर्ण जीत हासिल की, जिसमें राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का गिर जाना और डिप्टी स्पीकर के पद के लिए उसका उम्मीदवार चुना जाना शामिल है. वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे और हिंसा के बाद मंगलवार को पहली बार सदन की बैठक हुई. इस हिंसा में एक सांसद समेत नौ लोग मारे गए थे. इस बैठक से महिंदा राजपक्षे और उनके बेटे नमल राजपक्षे दोनों अनुपस्थित थे, जबकि बासिल राजपक्षे और शशिंद्र राजपक्षे व अन्य सदस्य संसद में मौजूद थे.