नई दिल्ली: अमेरिका में 50 साल पुराने गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को समाप्त करने का काफी विरोध किया जा रहा है. जहां रिपब्लिकन नेता सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना कर रहे हैं, वहीं राष्ट्रपति जो बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी गर्भपात के अधिकार को समाप्त किए जाने के विरोध में है. डेमोक्रेटिक प्रतिनिधि और कार्यकर्ता अलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज ने भी कोर्ट के इस फैसले के विरोध में एक गर्भपात अधिकार रैली को संबोधित किया और सुप्रीम कोर्ट पर जमकर बरसीं. इस दौरान उन्होंने अपने साथ हुए रेप का भी खुलासा किया और कहा कि वो आभारी हैं कि उन्हें रेप के बाद गर्भपात को चुनने का अधिकार मिला.
उन्होंन रैली के दौरान महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि जब उन्हें गर्भपात की आवश्यकता थी, तब उन्हें इसकी आजादी मिली.
न्यूयॉर्क के सिटी यूनियन स्क्वायर पार्क में एक रैली से मुखातिब होकर उन्होंने कहा, 'जब मैं लगभग 22 या 23 साल की थी, तब मेरे साथ रेप हुआ था. मैं उन दिनों न्यूयॉर्क शहर में रह रही थी. मैं पूरी तरह से अकेली थी, अकेला महसूस कर रही थी. मैंने उस वक्त खुद को इतना अकेला महसूस किया कि मैनहट्टन के मिडटाउन में एक पब्लिक बाथरूम में जाकर अपनी प्रेग्नेंसी टेस्ट की.'
उन्होंने आगे कहा, 'जब मैं वहां बाथरूम में बैठी थी कि प्रेग्नेंसी टेस्ट का क्या नतीजा आएगा तो उस वक्त मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि शुक्र है मेरे पास कम से कम एक विकल्प तो है. भगवान का शुक्र है, मुझे अपना भाग्य चुनने की आजादी मिली.'
उन्होंने आगे कहा कि ये महज महिला अधिकारों का मुद्दा नहीं है बल्कि ये सभी के लिए एक बड़ा मुद्दा है. उन्होंने महिलाओं से अपील की कि वो अपने इस अधिकार की लड़ाई के लिए आगे आएं.
अलेक्जेंड्रिया ने अपनी ये आपबीती उसी दिन बताई जिस दिन सुप्रीम कोर्ट ने 50 साल पुराने गर्भपात के ऐतिहासिक फैसले को पलट दिया. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने गर्भपात को अवैध बनाने के पक्ष में अपना फैसला दिया वहीं चार जजों ने इसका विरोध किया.
कोर्ट के फैसले के बाद अब सभी अमेरिकी राज्यों को ये आजादी है कि वो अपने राज्य में इस कानून को लागू करेंगे अथवा नहीं. 22 राज्यों में अनिवार्य रूप से गर्भपात को अवैध घोषित कर दिया गया है और कई राज्यों में भी इसे अवैध घोषित किए जाने की उम्मीद है.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से जहां विरोधी रिपब्लिकन खेमे में खुशी की लहर है, वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी ने इसकी कड़ी आलोचना की है. देशभर में महिलाएं फैसले के खिलाफ प्रदर्शन भी कर रही हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी फैसले की कड़ी आलोचना की है. अमेरिका के न्याय विभाग ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि कोर्ट का ये फैसला जन्म देने की आजादी पर एक कड़ा प्रहार है.