सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसल, सेक्स वर्कर्स के बनेगे आधार कार्ड

सेक्स वर्कर्स के आधार कार्ड बनाए जायेंगे,

Update: 2022-05-19 13:52 GMT
नई दिल्ली: सेक्स वर्कर्स के आधार कार्ड (Aadhar Card) बनाए जायेंगे. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इसके आदेश कर दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यौन कर्मियों को आधार कार्ड हासिल करने का अधिकार है. कोर्ट ने ये भी कहा कि आधार कार्ड बनाने के लिए यौन कर्मियों की पहचान उजागर नहीं की जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा जारी एक प्रोफार्मा प्रमाणपत्र के आधार पर यौनकर्मियों को आधार कार्ड जारी किए जाने का निर्देश दिया और कहा कि प्रत्येक व्यक्ति का यह मौलिक अधिकार है कि उसके साथ गरिमापूर्ण व्यवहार किया जाए
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि यौनकर्मियों की गोपनीयता भंग नहीं होनी चाहिए और उनकी पहचान उजागर नहीं की जानी चाहिए. पीठ ने कहा कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDEI) द्वारा जारी और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) में किसी राजपत्रित अधिकारी या राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के परियोजना निदेशक द्वारा नामांकन फॉर्म के साथ प्रस्तुत प्रोफार्मा प्रमाणपत्र के आधार पर यौनकर्मियों को आधार कार्ड जारी किए जाने चाहिए. इसने आदेश पारित करते हुए कहा कि हर व्यक्ति का अधिकार है कि उसके साथ गरिमापूर्ण व्यवहार किया जाए, चाहे उसका पेशा कुछ भी हो तथा यह बात ध्यान में रखी जानी चाहिए. 
यूआईडीएआई ने पूर्व में शीर्ष अदालत को सुझाव दिया था कि पहचान के सबूत पर जोर दिए बिना यौनकर्मियों को आधार कार्ड जारी किया जा सकता है, बशर्ते कि वे नाको के राजपत्रित अधिकारी या संबंधित राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों के स्वास्थ्य विभाग के राजपत्रित अधिकारी द्वारा जारी प्रमाणपत्र प्रस्तुत करें. शीर्ष अदालत ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे उन यौनकर्मियों की पहचान की प्रक्रिया जारी रखें जिनके पास पहचान का कोई प्रमाण नहीं है और जो राशन वितरण से वंचित हैं. उच्चतम न्यायालय कोविड-19 महामारी के कारण यौनकर्मियों के समक्ष उत्पन्न समस्याओं को उठाने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके कल्याण के लिए आदेश पारित कर रहा है और 29 सितंबर को इसने केंद्र तथा अन्य से कहा था कि वे यौनकर्मियों को उनकी पहचान के सबूत पर जोर दिए बिना राशन उपलब्ध कराएं. 
याचिका में कोविड-19 के कारण यौनकर्मियों की बदहाली को उजागर किया गया है और पूरे भारत में नौ लाख से अधिक महिला एवं ट्रांसजेंडर यौनकर्मियों के लिए राहत उपायों का आग्रह किया गया है. पीठ ने निर्देश दिया था कि अधिकारी नाको और राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की सहायता ले सकते हैं, जो समुदाय-आधारित संगठनों द्वारा उन्हें प्रदान की गई जानकारी का सत्यापन करने के बाद यौनकर्मियों की सूची तैयार करेंगे. शीर्ष अदालत ने 29 सितंबर 2020 को सभी राज्यों को निर्देश दिया था कि वे नाको द्वारा चिह्नित यौनकर्मियों को राशन प्रदान करें और पहचान के किसी सबूत पर जोर न दें. इसने मामले में अनुपालन की स्थिति रिपोर्ट भी मांगी थी.
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