भारत-अमेरिका के संबंधों में बड़ा बदलाव, 5 बिंदुओं में समझिए केमस्ट्री
कार्यकाल में विदेश नीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, जिसमें भारत समेत अन्य मित्र देशों के साथ मिलकर काम करने की नीति रही है।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद जो बाइडन अमेरिका के नए राष्ट्रपति बने। उस वक्त भी यह सवाल खड़ा हुआ था कि बाइडन प्रशासन और भारत के बीच किस तरह के रिश्ते होंगे। यह बहस इसलिए भी अहम थी क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच गहरी दोस्ती थी। इस दोस्ती का लाभ अमेरिका और भारत के संबंधों में भी दिखा। इसलिए ट्रंप के हटने के बाद यह सवाल उठना लाजमी था कि क्या भारत-अमेरिका के संबंध पूर्व की तरह मधुर बने रहेंगे। आज जब बाइडन और मोदी की पहली मुलाकात हुई तो यह सवाल उठ रहे हैं। आखिर दोनों देशों के संबंधों की बुनियाद कहां हैं। क्या आज भारत अमेरिका की जरूरत है। कैसे रहेंगे अमेरिका और भारत के रिश्ते। आइए जानते हैं विशेषज्ञ की राय।
1- उदारीकरण के बाद भारत-अमेरिका के संबंधों में बड़ा बदलाव
प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि देश में उदारीकरण के बाद भारत-अमेरिका के संबंधों में बड़ा बदलाव आया है। यानी 1990 के दशक के बाद दोनों देशों के संबंधों में एक नया आयाम जुड़ा है। अमेरिका और भारत के बीच संबंध मूल रूप से आपसी विश्वास और लाभों पर आधारित है। बाइडन काल में यह संबंध और भी बेहतर होंगे। उन्होंने कहा इसका संकेत बाइडन ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ही दिया था। भारत के संदर्भ में कुछ मामलों में बाइडन अपने पूर्ववर्ती ट्रंप से ज्यादा उदार हैं। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान स्पष्ट किया था वह ट्रंप द्वारा लगाए गए एच-1 वीजा पर अस्थाई निलंबन को हटा देंगे। प्रो. पंत ने कहा कि यह इस बात के संकेत थे कि बाइडन अगर चुनाव जीत कर आते हैं तो भारत के साथ उनके रिश्ते बेहतर बने रहेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि बाइडन भारत के लिए बेहतर होंगे।
2- बाइडन के काम आएगा ओबामा के कार्यकाल का अनुभव
प्रो. पंत ने कहा कि भले ही राष्ट्रपति बाइडन व्यक्तिगत संबंधों को बढ़ाने के प्रति ज्यादा उत्सुक न हों, जिसे प्रधानमंत्री मोदी पसंद करते हैं। बाइडन दो देशों के संबंधों को ज्यादा तरजीह देते हैं। उनकी दृष्टि में सरकार का सरकार से संबंध का ज्यादा महत्व हैं। उन्होंने कहा कि बाइडन को ओबामा के साथ दो बार उप राष्ट्रपति के रूप में काम करने का अनुभव रहा है। यह बाइडन को दुनिया भर में अपने सहयोगियों और अन्य देशों के साथ स्थिर और परिपक्व रिश्ते बनाने की क्षमता प्रदान करता है। ओबामा के कार्यकाल में भारत और अमेरिका के मुधर संबंध रहे हैं। इसका प्रभाव बाइडन के कार्यकाल में दिखना शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं की व्यक्तिगत मुलाकात इस बात काे प्रमाणित करती है कि दोनों देशों के संबंध मधुर होंगे। प्रो. पंत का कहना है कि डेमोक्रेटिक शासन में भारत-अमेरिका के संबंधों में मधुरता कायम रही है। राष्ट्रपति चुनाव के वक्त भी यह कहा गया था कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ प्रधानमंत्री मोदी के करीबी संबंध बाइडन के कार्यकाल में विदेश नीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, जिसमें भारत समेत अन्य मित्र देशों के साथ मिलकर काम करने की नीति रही है।