रूसी राष्ट्रपति को बड़ा झटका: यूक्रेनी सेना के 'फंदे' में फंसे पुतिन के हजारों सैनिक, पढ़े बड़ी बातें
Russia-Ukraine War: 24 फरवरी से शुरू हुई रूस और यूक्रेन की जंग को करीब एक महीना हो चुका है. ये जंग इतनी लंबी खींचेगी, इसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. अमेरिकी एक्सपर्ट का मानना है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) भी यही मानकर चल रहे थे कि जंग कुछ ही दिनों में खत्म हो जाएगी. इसकी एक सबसे बड़ी वजह ये थी कि रूस के पास करीब 10 लाख जवानों की सेना है तो वहीं यूक्रेन के पास महज 2 लाख जवानों की.
हालांकि, ये जंग अभी भी किसी नतीजे पर पहुंचती नहीं दिख रही है. यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जे को लेकर दोनों देशों की सेनाओं के बीच संघर्ष जारी है. वहीं, यूक्रेन सेना को कमजोर करने के लिए रूस की सेना लगातार शहरों और रिहायशी इलाकों पर बमबारी कर रही है. मारियूपोल में रूस की सेना ने जबरदस्त बमबारी की है.
लेकिन जिस जंग के कुछ ही दिनों में खत्म होने की उम्मीद थी, वो जंग आखिर इतनी लंबी कैसे खींच गई? जानते हैं उन 5 कारणों के बारे में, जिस वजह से रूस और यूक्रेन की जंग दिन से हफ्तों और हफ्तों से महीने में बदल गई...
1. जल्दी जीत हासिल करने की भूल
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने जब 24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान किया था, तब उन्होंने कहा था कि वो डिमिलटराइज करना चाहते हैं. रूस ने इस जंग की शुरुआत यूक्रेन के सैन्य ठिकानों पर हमला कर की, लेकिन अब रिहायशी इमारतों पर भी बमबारी की जा रही है. रूस ने शुरुआत में यूक्रेन के आसपास 1.5 से 2 लाख सैनिक तैनात किए थे, जो इस ओर इशारा करता है रूस इस जंग को ज्यादा दिन तक खींचने के मूड में नहीं था. एक्सपर्ट भी मान रहे हैं कि पुतिन को लगता था कि यूक्रेन की सेना जल्दी घुटने टेक देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके साथ ही रूस के सैनिकों की ट्रेनिंग पर भी सवाल उठने लगे हैं. पिघलती बर्फ ने भी रूसी सेना की दिक्कत बढ़ा दी है.
2. अमेरिका-NATO का यूक्रेन को समर्थन
इस जंग में अमेरिका और NATO यूक्रेन के साथ खड़े हुए हैं, जिस वजह से भी ये जंग लंबी खींच रही है. अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी और यूरोपीय देशों पर रूस की निर्भरता ने पुतिन को ये समझने में गलती कर दी कि इस जंग में ये भी उसके आड़े आएंगे. ऐसा भी माना जा रहा है कि पुतिन ने ये समझने में भी गलती कर दी कि यूक्रेन के खिलाफ अगर रूस जंग छेड़ता है तो अमेरिका और NATO की राय अलग-अलग होगी. ऐसा इसलिए भी क्योंकि कई सालों से अमेरिका और NATO के रिश्ते बहुत अच्छे नहीं थे, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) की रूस के खिलाफ कार्रवाई ने अमेरिका और NATO के रिश्ते और मजबूत कर दिए हैं.
3. यूक्रेन के खिलाफ दुनिया एकजुट
यूक्रेन पर हमला कर रूस के खिलाफ जिस तरह से दुनिया एकजुट हो गई है, उसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. रूसी बैंकों को अंतरराष्ट्रीय पेमेंट सिस्टम SWIFT से बाहर बाहर निकालना बड़ा झटका था. इसके अलावा रूस के विदेशी भंडार को फ्रीज करना और रूसी अरबपतियों पर पश्चिमी देशों की कार्रवाई से रूस की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है. इसके साथ ही बीपी, एक्सॉन और शेल जैसी 400 से ज्यादा ऊर्जा कंपनियों ने रूस में अपना काम या तो बंद कर दिया है या सीमित कर दिया है. वहीं, जर्मनी जैसे देश जो रूस की गैस पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं, वो भी अब रूस के खिलाफ बातें कर रहे हैं.
4. जेलेंस्की का जज्बा
शुरू में माना जा रहा था कि रूस की सेना के सामने यूक्रेन की सेना ज्यादा देर नहीं टिकेगी और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की रूस की सारें शर्तें मानने को तैयार हो जाएंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जेलेंस्की ने सरेंडर करने से मना कर दिया. जब से जंग शुरू हुई है, तब से पुतिन की ओर से ज्यादा कुछ नहीं कहा गया, लेकिन जेलेंस्की लगातार ट्वीट कर रहे हैं और वीडियो जारी कर रहे हैं. रूस की मीडिया ने जंग के कुछ दिन बाद ही जेलेंस्की के देश छोड़कर जाने का दावा किया लेकिन जेलेंस्की ने कीव से ही वीडियो जारी कर बताया कि वो यहीं हैं. जेलेंस्की के इस जज्बे ने यूक्रेन की सेना के हौंसले को मजबूत कर दिया.
5. यूक्रेनी सेना का जवाब
रूस के खिलाफ जंग में यूक्रेन की सेना ने जो रणनीति अपनाई है, वो अभी तक सही साबित हुई है. यूक्रेन की सेना लगातार रूस की सेना और उनके हथियारों को टारगेट कर रही है. इस जंग में यूक्रेन की सेना के लिए जो प्लस प्वाइंट साबित हुआ है, वो ये कि 2014 से यूक्रेनी सेना डोनबास में रूसी समर्थित अलगाववादियों से लड़ रही है, लिहाजा उसे रूस की रणनीति के बारे में पहले से अंदाजा था. इसके साथ ही यूक्रेन की सेना रूसी हमले से निपटने की भी सालों से तैयारी कर रही थी. इतना ही नहीं, ये युद्ध शुरू होने से काफी पहले से ही पश्चिमी देशों से ट्रेनिंग ले रही थी. इन्हीं सबने इस जंग को इतना लंबा खींच दिया.
कितनी हुई तबाही?
- सेनाः NATO का दावा है कि इस युद्ध में रूस की सेना के 7 हजार से लेकर 15 हजार जवानों की मौत हो चुकी है. हालांकि, रूस की ओर से अभी तक कोई आंकड़ा नहीं दिया गया है. वहीं, यूक्रेन की ओर से आखिरी बार 12 मार्च को अपने मारे गए सैनिकों का आंकड़ा दिया गया था. उस समय यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने बताया था कि इस जंग में यूक्रेन के करीब 1,300 जवानों की मौत हुई है.
- आम लोगः यूक्रेन दावा करता है कि लगातार रूसी सेना की ओर से आम लोगों को निशाना बनाया जा रहा है. जापान की संसद को संबोधित करते हुए जेलेंस्की ने कहा था कि इस जंग में हजारों लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें 121 बच्चे हैं. कीव के मेयर विताली क्लित्स्को का दावा है कि अब तक राजधानी में 264 आम नागरिक मारे जा चुके हैं. वहीं, मारियूपोल में भी ढाई हजार आम लोगों की मौत होने का दावा किया जा रहा है.