अमेरिका को बड़ा झटका, दक्षिण चीन सागर में परमाणु पनडुब्‍बी का रहस्‍यमय हादसा, नुकसान का आकलन जारी

Update: 2021-10-08 03:13 GMT

वॉशिंगटन. दक्षिण चीन सागर (South China Sea) पर संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच तनाव जारी है. इस बीच अमेरिकी नौसेना (United States Navy)के एक परमाणु-संचालित पनडुब्बी (Nuclear-Powered Submarine)ने दक्षिण चीन सागर में अंतरराष्ट्रीय जल में डूबे हुए एक अज्ञात चीज को टक्कर मार दी है. इस मामले से परिचित अधिकारियों ने शुक्रवार को समाचार एजेंसियों को ये जानकारी दी.

रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिकी नौसेना के अधिकारियों ने एक बयान जारी कर सूचित किया कि इस टक्कर में कोई नुकसान नहीं हुआ है और पनडुब्बी पूरी तरह से चालू है. हालांकि, पनडुब्बी की टक्कर किस चीज से हुई थी, इस बारे में साफ तौर पर कुछ भी नहीं बताया गया.
यूएसएस कनेक्टिकट (USS Connecticut) नाम की सीवॉल्फ-क्लास की परमाणु शक्ति वाली पनडुब्बी पांच दिन पहले उक्त चीज से टकरा गई थी, लेकिन परिचालन सुरक्षा बनाए रखने के लिए गुरुवार से पहले इस घटना की जानकारी नहीं दी गई. यूएस पैसिफिक फ्लीट द्वारा जारी किया गया बयान काफी संक्षिप्त था और इसमें यह उल्लेख नहीं किया गया था कि आखिर किस चीज से पनडुब्बी की टक्कर हुई. बयान में कहा गया है कि पनडुब्बी का न्यूक्लियर प्रोपल्सन प्लांट भी ठीक है.
अमेरिकी नौसेना ने इस टक्कर के बारे में ज्यादा जानकारी दिए बिना कहा, 'पनडुब्बी को हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है. घटना की जांच की जाएगी.'
हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि इस टक्कर का असर पनडुब्बी में सवार सभी लोगों पर नजर आया. दो नाविकों को मामूली चोटें आईं, जबकि कम से कम 9 अन्य को खरोंचे आई हैं. उन्होंने बताया कि इस टक्कर के बाद पनडुब्बी आगे की जांच के लिए गुआम बंदरगाह की ओर बढ़ गई थी.
बता दें कि साउथ चाइना सी पर चीन अपना अधिकार बताता है. 1 सितंबर से चीन ने एकतरफा नया समुद्री कानून लागू किया है. इसके तहत चीन की समुद्री सीमा से गुजरने वाली सभी विदेशी जहाजों को अपनी सारी जानकारी उसे देनी होगी. ऐसा नहीं करने वाले जहाजों को सीधे उड़ा दिया जाएगा.
चीन के इस नए कानून के लागू होने के बाद एक बार फिर से विवाद छिड़ना तय है. साउथ चाइना सी पर ताइवान, मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्रूनेई का भी हिस्सा है, लेकिन इस बात को चीन पूरी तरह से नकारता रहा है. चीन साउथ चाइना सी पर 90 फीसदी से अधिक हिस्से को अपना मानता है. जानकारों की मानें तो चीन के इस कदम से विवाद की स्थिति निश्चित ही पैदा होगी. चीन का यह कानून अंतरराष्ट्रीय नियमों का भी उल्लंघन करता है. आने वाले वक्त में अमेरिका के साथ चीन का टकराव और भी ज्यादा बढ़ सकता है.
वर्ष 2016 के आंकड़ों के अनुसार 3.37 खरब अमेरिकी डालर का वैश्विक व्यापार इस समुद्री रास्ते से हुआ जो कि पूरे वैश्विक व्यापार का लगभग एक तिहाई हिस्सा है. ये रियाऊ द्वीप समूह के दक्षिण में मिलता है जिसे नाटुना सागर कहा जाता है. इसलिए दक्षिण चीन सागर आसियान देशों के लगभग सभी भागों को छूता है. इस पूरे प्रकरण में चिंताजनक बात यह भी है कि चीन ने पहले से ही इन कृत्रिम द्वीपों पर लाइटहाउस, संचार सुविधाएं, हैंगर और कई अन्य सैन्य प्रतिष्ठान बना लिए हैं.
हाल के वर्षों में देखा जाए तो चीन की चेतावनी को दरकिनार कर अमेरिका, ब्रिटेन दक्षिण चीन सागर में सैन्य अभ्यास किए। भारत ने भी अपने जहाज साउथ चाइना सी में भेजे. चीन की आक्रामक नीतियों के खिलाफ क्वाड के चार देश- भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का जो युद्धाभ्यास था चीन उससे भी नाराज था.


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