बड़ी उपलब्धि! इंजीनियरों ने बनाई खास डिजाइन, अब बिना हवा के चांद पर उड़ सके रोवर
इस साल अंतरिक्ष अनुसंधानों में मिली उपलब्धियों में से एक मंगल ग्रह पर रोटोक्राफ्ट की सफल उड़ान भी रही
इस साल अंतरिक्ष अनुसंधानों में मिली उपलब्धियों में से एक मंगल ग्रह पर रोटोक्राफ्ट की सफल उड़ान भी रही. मंगल (Moon) जैसे ग्रह जहां पर हवा बहुत कम है, वहां इस तरह के हेलीकॉप्टर का उड़ना एक बहुत बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. लेकिन इस तरह की उड़ान चंद्रमा (Moon) पर संभव नहीं हैं क्योंकि वहां पर वायुमंडल बिलकुल भी नहीं है. अगले तीन सालों में नासा चंद्रमा पर इंसानों को भेजने की तैयारी कर रहा है. और इस अभियान के लिए कई तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं, जिनमें एक ऐसा रोवर भी है जो चंद्रमा पर उड़ान (Flying Rover) भर सकेगा.
एमआईटी के इंजीनियरों की अवधारणा
इस अवधारणा की परिकल्पना मसाचुसैट्स इस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) ने की है. इसमें चंद्रमा और मंगल जैसे ग्रहों सहित क्षुद्रग्रहों पर पहुंचाए जा सकने और वहां उड़ान भर पाने वाले खास रोवर डिजाइन किए जा रहे हैं. एमआईटी के इंजीनियर्स इसी अवधारणा पर काम कर रहे हैं.
उपयोगी साबित हो सकता है
चंद्रमा के अन्वेषण इस दशक में अमेरिका ही नहीं बल्कि भारत, रूस और चीन जैसे देशों के लिए भी प्रमुख विषयों में से एक रहेगा. इस लिए इस तरह का विमान जो चंद्रमा पर उड़ सके बहुत काम का उपकरण साबित हो सकता है. यह चंद्रमा की सतह का बहुत पास से दूर दूर तक अवलोकन कर सकेगा और कई जरूरी जानकारी प्रदान कर सकेगा जो दूर से अंतरिक्ष प्रोब तक नहीं हासिल कर सकते हैं.
विद्युत आवेश से उम्मीद
यह विमान चंद्रमा के तटस्थ आवेश को ऊर्जा के तौर पर उपयोग कर वहां के वायु रहित वातावरण में उड़ सकेगा. चूंकि चंद्रमा पर कोई वायुमंडल नही है. बिना हवा की वस्तुएं सूर्य और आसपास के प्लाज्मा के जिरए एक इलेक्ट्रिक फील्ड पैदा कर सकती हैं, जो रोवर की उड़ान भरने में सहयाक सिद्ध होगी.
खास तरह के पदार्थ पर काम
एमआईटी की टीम का कहना है कि सतह का आवेश इतना शक्तिशाली होगी वह वहां की धूल को एक मीटर ऊंचाई तक उठा देगा. यह उसी तरह से होगा जैसे स्थैतिक विद्युतकी के कारण किसी व्यक्ति के बाल खड़े हो जाते हैं. एमआईटी के इंजनियर नासा के साथ मिलकर इस तरह के तटस्थ सतह वाले पदार्थ पर काम रहे हैं जिसे ग्लाइडर के पंख बिना हवा वाले स्थानों पर उड़ान भर सके.
सतह और रोवर दोनों ही हो जाएंगे आवेशित
इसके लिए शोधकर्ता मायलर जैसे पदार्थ पर पहले से ही काम कर रहे हैं. यह ऐसा पदार्थ है जो प्राकृतिक रूप उसी तरह का आवेश रखता है जो बिना हवा की चीजों पर होता है. इस रोवर के आकार की परिकल्पना एक तश्तरी के आकार की होगी जो छोटे आयन बीम के लिए वाहन और सतह के तटस्थ आवेश को आवेशित करने का काम करेगी.
जापानी हायाबुसा अफियानों से ली प्रेरणा
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और एमआईटी के एरोनिटिक्सी एंड ऑस्ट्रोनॉटिक्स के ओलिवर जिया रिचर्ड्स ने बताया, "हमने इसे जापान के हायाबुसा अभियानों की तरह उपयोग करने का सोचा था. वह अंतरिक्ष यान छोटे क्षुद्रग्रहों की आसपास काम करने के लिए बनाया गया था जिसके जरिए सतह पर छोटे रोवर छोड़े गए थे."
भावी अभियानों के लिए
एमआईटी के इंजीनियरों ने इसी अवधारणा की दिशा में काम किया और सोचा कि भविष्य के अभियानों में इस तरह के छोटे रोवर चंद्रमा और दूसरे क्षुद्रग्रहों की सतहों के अवलोकन करने के लिए भेजे जा सकते हैं. शुरुआती अध्ययनों में इंजनियरों ने दर्शाया कि आयानीकरण इतना शक्तिशाली होना चाहिए कि वह चंद्रमा और साइक जैसे बड़े क्षुद्रग्रह पर पर छोटा दो पाउंड का रोवर उठा सके. इसी संभावना के अध्ययन को शोधकर्ताओं ने जर्नल ऑफ स्पेसक्राफ्टएंड रॉकेट्स में प्रकाशित किया है.