इमरान से नाराज हैं बाइडेन! पाकिस्तान-अमेरिका के रिश्ते हैं तनावपूर्ण

पाकिस्तान (Pakistan) सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने गार्जियन को बताया कि दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव बरकरार रहा,

Update: 2021-10-10 07:48 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमेरिका (America) और पाकिस्तान (Pakistan) के रिश्ते हाल के महीनों में काफी बिगड़ गए हैं. यही वजह है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने अभी तक पड़ोसी मुल्क के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) को अभी तक फोन नहीं किया है. वहीं, अब ये बात बिल्कुल खुलकर सामने आ गई है कि दोनों मुल्कों के बीच रिश्ते बिगड़ चुके हैं. दरअसल, इस्लामाबाद (Islamabad) का दौरा करने वाली एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने पाकिस्तान (US-Pakistan Relations) को स्पष्ट कर दिया है कि बाइडेन प्रशासन ने द्विपक्षीय संबंधों को डाउनग्रेड कर दिया है.

अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमेन (Wendy Sherman) ने मुंबई में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों के नए मानकों को स्पष्ट किया. साथ ही इस बात पर जोर दिया कि वाशिंगटन के भारत के साथ गहरे संबंधों की पाकिस्तान के साथ कोई समानता नहीं होगी. शेरमेन ने कहा, इस्लामाबाद की यात्रा एक बहुत ही विशिष्ट और संकीर्ण उद्देश्य के लिए थी. इसमें अफगानिस्तान और तालिबान के बारे में बात की गई. उन्होंने कहा, हम खुद को पाकिस्तान के साथ व्यापक संबंध बनाते हुए नहीं देखते हैं और भारत-पाकिस्तान के बीच के दिनों में लौटने में हमारी कोई दिलचस्पी नहीं है.
पाकिस्तान-अमेरिका के रिश्ते हैं तनावपूर्ण
वेंडी शेरमेन ने कहा, ये वह जगह नहीं है जहां हम हैं. यह वो जगह नहीं है जहां हम जा रहे हैं. दरअसल, पाकिस्तान में शेरमेन का ठीक तरह से रिसेप्शन तक नहीं किया गया. उनकी इमरान खान (Imran Khan) के साथ एक नियोजित बैठक होने थी, जो हुई ही नहीं. पाकिस्तान सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने गार्जियन को बताया कि दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव बरकरार रहा, जिसे हल करने की जरूरत है. वहीं, इमरान इस बात से नाराज हैं कि उन्हें अभी भी जो बाइडेन का फोन नहीं आया है. हालांकि, सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा, शेरमेन के साथ बातचीत अच्छी रही. मुझे लगता है कि उन्होंने पाकिस्तान के दृष्टिकोण को समझा.
इमरान से नाराज हैं बाइडेन!
जो बाइडेन ने वैश्विक नेताओं के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों को रिस्टोर किया है. 31 अगस्त को अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी पूरी होने पर राष्ट्रपति ने कहा कि अब देश क्षेत्रीय कूटनीति पर जोर देगा. अगर इस संदर्भ में देखें तो ऐसा लगता है कि इमरान खान को कॉल नहीं करने का फैसला अफगानिस्तान को लेकर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री द्वारा अपनाए गए रवैये को लेकर वाशिंगटन की नाराजगी को दिखाता है. इमरान ने तालिबान के कब्जे का समर्थन किया था. वहीं, अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान महिलाओं के अधिकारों और अन्य लोकतांत्रिक सिद्धांतों के लिए दबाव डालते हुए तालिबान की मान्यता को रोकने में अंतरराष्ट्रीय एकजुटता बनाए रखे.
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