US और जापान हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए मिलकर काम करेंगे
बैठक के बाद व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए बाइडन ने कहा, प्रधानमंत्री सुगा और मैंने अमेरिका-जापान गठबंधन और अपनी साझी सुरक्षा के प्रति अपना समर्थन दोहराया। पूर्वी चीन सागर, दक्षिणी चीन सागर और उत्तर कोरिया समेत चीन की चुनौतियों का मिलकर सामना करने को लेकर हम प्रतिबद्ध हैं। दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव, जलवायु परिवर्तन और कोरोना वायरस महामारी से निपटने के उपायों पर भी चर्चा की। सुगा से मुलाकात के बाद अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने भी कहा कि अमेरिका और जापान हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करेंगे।
क्वाड को मजबूत बनाने पर सहमति
राष्ट्रपति बाइडन और प्रधानमंत्री सुगा ने स्वतंत्र, मुक्त और विविधता भरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए क्वाड को मजबूत बनाने पर सहमति जताई है। इसके लिए दोनों देश भारत और आस्ट्रेलिया के साथ मिलकर काम करेंगे। दोनों नेताओं की बैठक के दौरान हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति और समृद्धि पर चीनी गतिविधियों के असर का भी मुद्दा उठा। दोनों नेताओं के संयुक्त बयान में कहा गया है कि क्वाड के जरिये हम भारत और आस्ट्रेलिया के साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगे। बताते चलें कि क्वाड भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया का गठबंधन है।
चीन ने कहा, हमारे प्रति नकारात्मक है अमेरिका
चीन के एक शीर्ष राजनयिक ने कहा है कि बीजिंग के प्रति चीन का रुख बहुत नकारात्मक है। उप विदेश मंत्री ली युचेंग ने कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि बाइडन प्रशासन कोरोना से निपटने और आर्थिक स्थिति सुधारने की कोशिश कर रहा है। लेकिन ऐसा लगता है कि अमेरिका मतभेद बढ़ाना और सहयोग कम करना चाहता है। मुझे कहना चाहिए कि यह बहुत नकारात्मक नजरिया है।
बाइडन से व्यक्तिगत तौर पर मिलने वाले पहले विदेशी राजनेता
जापान के प्रधानमंत्री सुगा, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन से व्यक्तिगत तौर पर मिलने वाले पहले विदेशी राजनेता हैं। सुगा पहले ऐसे विदेशी नेता हैं जो बाइडन के पदभार ग्रहण करने के बाद उनसे मुलाकात किया। यह यात्रा इस बात का प्रमाण है कि अमेरिका, जापान के लिए कितना महत्व रखता है। यह यात्रा दोनों देशों के न केवल मजबूत संबंधों को प्रदर्शित करता है, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में टोक्यो की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। खास बात यह है कि कोरोना संकट के बाद पहली बार दो राष्ट्राध्यक्षों की आमने-सामने की बातचीत हो रही है।