गर्भपात अधिकार की रक्षा के लिए संघर्ष करेगा बाइडन प्रशासन, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर वैश्विक बहस शुरू
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के रो बनाम वेड मामले में दिए गए अपने पूर्व निर्णय को पलटने के बाद अमेरिका में गर्भपात के अधिकार को लेकर लंबी कानूनी लड़ाई शुरू होने के संकेत हैं।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के रो बनाम वेड मामले में दिए गए अपने पूर्व निर्णय को पलटने के बाद अमेरिका में गर्भपात के अधिकार को लेकर लंबी कानूनी लड़ाई शुरू होने के संकेत हैं। बाइडन प्रशासन ने गर्भपात अधिकार की रक्षा के लिए संघर्ष का इरादा जताते हुए साफ किया है कि वह राज्यों को इसके लिए इस्तेमाल होने वाली गोली को प्रतिबंधित नहीं करने देगा।
बाइडन प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि वह अदालत के समक्ष तर्क रखेगा कि अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने चिकित्सीय गर्भपात के लिए प्रयुक्त होने वाली गोली माइप्रिस्टोन को अनुमति दी है। राज्य इसे प्रतिबंधित करने का प्रयास करेंगे तो यह एफडीए के अधिकार में सीधा हस्तक्षेप होगा। इस गोली का जेनेरिक वर्जन बेचने वाली लास वेगास स्थित जेनबायोप्रो इनकॉरपोरेशन ने भी मिसीसिपी प्रशासन के गर्भपात पर रोक लगाने को अदालत में चुनौती देते हुए अपनी याचिका में यही तर्क दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अमेरिका के एक दर्जन से ज्यादा राज्य गर्भपात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के मूड में हैं। हालांकि उन्हें इसमें सफलता मिलने की संभावना कम है। महिलाएं ऑनलाइन या अन्य राज्यों से इसके लिए इस्तेमाल होने वाली गोलियां हासिल कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रपति बाइडन ने अपनी टिप्पणी में कहा था, सरकार चिकित्सीय गर्भपात का अधिकार बचाने का प्रयास करेगी। इस पर रोक गलत और अतिवादी है। ज्यादातर अमेरिकी इसका समर्थन नहीं करते।
अमेरिका में शुक्रवार को गर्भपात के लिए सांविधानिक संरक्षण को खत्म करने के फैसले ने दुनिया भर में गर्भपात विरोधियों को प्रेरित किया है। वहीं, गर्भपात के अधिकार के पैरोकारों ने चिंता जताई है कि यह फैसला उनके देश में इसे वैध बनाने की दिशा में हाल में उठाए गए कदमों को जोखिम में डाल सकता है।
अर्जेंटीना के कम्पेनियन नेटवर्क (गर्भपात अधिकारों का समर्थन करने वाला एक समूह) के सदस्य रूथ जुरब्रिगेन ने कहा, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक रो बनाम वेड के फैसले को पलटना दिखाता है कि ऐसे अधिकारों को हमेशा कुचले जाने का खतरा होता है। विदा एसवी फाउंडेशन की अध्यक्ष सारा लारिन ने कहा, मुझे भरोसा है कि इस फैसले से अमेरिका और दुनिया भर में गर्भपात को खत्म करना संभव होगा। केन्या में गर्भपात अधिकारों के लिए काम करने वाली फोंसिना ने इस फैसले को दुखद बताया। हालांकि गर्भपात विरोधी कार्यकर्ताओं ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की सराहना की है।
अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने उन महिलाओं की मदद करने का संकल्प लिया जो गर्भपात कराने के लिए यात्रा करती हैं। देश के सुप्रीम फैसले के बाद गर्भपात की प्रक्रिया अवैध हो गई है। कैलिफोर्निया, वाशिंगटन व ओरेगन के डेमोक्रेटिक गवर्नरों ने एक साझा प्रतिबद्धता जारी करते हुए कहा कि वे रोगियों और देखभाल प्रदाताओं की रक्षा के लिए मिलकर काम करेंगे।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेट और विश्व स्वास्थ्य संगठन महानिदेशक टेड्रॉस गेब्रेयेसिस ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानवाधिकारों और लैंगिक समानता के लिए बड़ा खतरा करार दिया है। बाचेलेट ने कहा, इस कानून से गर्भपात कम नहीं होंगे बल्कि यह और अधिक घातक रूप से सामने आएगा। वहीं, गेब्रेयेसिस ने फैसले पर चिंता व निराशा जताई।