सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंट प्रीवेंशन (सीडीसी) ने एफडीए को वेरोना इंटेग्रोन- मीडिएटेड वाले मेटलो-β-लैक्टामेज़ (वीआईएम) - और गुयाना-विस्तारित स्पेक्ट्रम-β-लैक्टामेज़ (जीईएस) के एक मल्टी स्टेट क्लस्टर की जांच के लिए अलर्ट किया है. इसमें कहा गया है कि अब तक आईड्रॉप के चलते प्रतिकूल घटनाओं की 55 रिपोर्टें हैं जिनमें आंखों में इंफेक्शन, दृष्टि की स्थायी हानि और ब्लडस्ट्रीम इंफेक्शन से मौत शामिल है. यूएसएफडीए ने कहा कि "इसके उपयोग से आँखों में संक्रमण का खतरा हो सकता है जिसके चलके अंधापन भी हो सकता है". बता दें कि इस आर्टिफिशियल टीयर्स लुब्रिकेंट आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल जलन से बचाने या आंखों के सूखेपन को दूर करने के लिए किया जाता है.
ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा है कि वह इस प्रोडक्ट अरु फार्मा इंक और डेलसम फार्मा के डिस्ट्रीब्यूटरों को सूचित कर रही है और अनुरोध कर रही है कि जिन थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं और ग्राहकों के पास वापस मंगाए गए प्रोडक्ट हैं, उन्हें इसका उपयोग बंद कर देना चाहिए. यदि उन्हें इन ओवर-द-काउंटर दवा उत्पादों के उपयोग से संबंधित कोई समस्या होती है तो उपभोक्ताओं को अपने चिकित्सक या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करना चाहिए.
गौरतलब है कि ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य अमेरिका, LATAM, CIS और अफ्रीका के विभिन्न बाजारों में कई चिकित्सीय रूपों में फार्मास्युटिकल फॉर्मूलेशन की एक विस्तृत श्रृंखला का उत्पादन और आपूर्ति करता है. गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत से जुड़े कुछ कफ सिरप के बाद चेन्नई स्थित फर्म द्वारा निर्मित आई ड्रॉप देश का ऐसा दूसरा दवा उत्पाद है जो जांच के दायरे में आया है.