तालिबान का बर्बरता की शुरुआत, विदेशी फौजों के मददगारों को मौत के घाट उतार रहे आतंकी, प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी, कई मरे

संयुक्त राष्ट्र को नार्वे की संस्था की ओर से मिली रिपोर्ट में मददगार रहे अफगान लोगों की सुरक्षा पर चिंता जताई गई है।

Update: 2021-08-20 01:50 GMT

अफगानिस्तान में तालिबान ने उन लोगों की तलाशी और हत्या का अभियान छेड़ दिया है जो पूर्व में अमेरिका और नाटो की सेनाओं के लिए काम करते थे, तालिबान को नुकसान पहुंचाते थे। समाचार एजेंसी आइएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे लोगों की तलाश राजधानी काबुल सहित सभी शहरों में की जा रही है। यह बात संयुक्त राष्ट्र को प्राप्त हुए गोपनीय दस्तावेज में कही गई है। तालिबान के निशाने पर प्रदर्शन कर रहे आम लोग भी आ गए हैं। समाचार एजेंसी रॉयटर के मुताबिक पूर्वी प्रांत कुनार की राजधानी असादाबाद में एक रैली के दौरान कई आम लोग मारे गए हैं।

बर्बरता की शुरुआत
समाचार एजेंसी आइएएनएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दस्तावेज में बताया गया है कि 2001 से 2021 के बीच बड़ी संख्या में अफगान लोगों ने अफगानिस्तान में अमेरिका और सहयोगी देशों की सेनाओं का साथ दिया। इन लोगों में अफगानी सेना, पुलिस और खुफिया विभाग के लोग थे। अब इनमें से ज्यादातर लोग गायब हैं। देश के 90 प्रतिशत इलाके में काबिज हो चुके तालिबान लड़ाके अब अपनी सूचनाओं के आधार पर इन गायब लोगों की तलाश कर रहे हैं। इन लोगों के घरों में छापेमारी कर परिवार के लोगों को धमकाया जा रहा है और पकड़ा जा रहा है।
दुश्‍मनों की तलाश
रिपोर्टों के मुताबिक कुछ लोगों के मारे जाने की भी सूचना है। बीबीसी ने इस तरह के मामलों की पुष्टि की है। पता चला है कि तालिबान के पास ऐसे लोगों की पहले से ही सूचना थी। विदेशी सेनाओं के ये मददगार लोग और उनके परिवार सुरक्षा कारणों से शहरों में ही रहते थे। अब जबकि शहरों पर भी तालिबान का कब्जा हो गया है तब वे उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर अपने दुश्मन रहे लोगों की तलाश कर रहे हैं। तालिबान की हर संभव कोशिश है कि उन्हें पकड़ा जाए और दंडित किया जाए।
हजारों लोगों ने छोड़ा मुल्‍क
ऐसे ही छह सौ से ज्यादा लोग अमेरिकी वायुसेना के विमान में बैठकर कतर चले गए हैं। अन्य हजारों लोग जमीनी रास्तों से पड़ोसी देशों में चले गए हैं या छिपे हुए हैं। यह स्थिति तालिबान के प्रवक्ता जमीउल्ला मुजाहिद के यह कहने के बाद है कि हमने सभी को माफ कर दिया है। अब देश में किसी तरह का संघर्ष और युद्ध नहीं चाहते। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि देश पर कब्जा कर चुके तालिबान के पास अब एक समय नुकसान पहुंचा चुके लोगों की तलाश ही सबसे जरूरी काम है। संयुक्त राष्ट्र को नार्वे की संस्था की ओर से मिली रिपोर्ट में मददगार रहे अफगान लोगों की सुरक्षा पर चिंता जताई गई है।


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