मरने से पहले इस 15 साल की लड़की ने अपनी डायरी में ऐसा क्या लिखा, जिसे पढ़कर दुनिया में हर कोई रह जाएगा हैरान
उस पीड़िता के तौर पर याद किया जाता है जिसने अपने शब्दों से लोगों को जिंदगी जीना सिखाया है.
'जब तक यह सब मौजूद है, ये सूरज की रोशनी और ये बादल रहित आसमान और जब तक मैं इनका आनंद ले सकती हूं, मैं कैसे दुखी हो सकती हूं? जो भी डरा हुआ, अकेला और दुखी है, उसके लिए सबसे बेहतर है बाहर निकलना, एक ऐसी जगह जहां वो अकेला हो, अकेला… बादलों, प्रकृति और भगवान के साथ. तब आपको महसूस होगा कि जो जैसा होना चाहिए वैसा ही है. भगवान चाहते हैं कि आप प्रकृति की सुंदरता और सादगी के बीच खुश रहें.' ये वो शब्द हैं, जो एक 15 साल की लड़की (Anee Frank) ने 77 साल पहले अपनी डायरी में लिखे थे. हम बात कर रहे हैं कि एनी फ्रैंक (Anee Frank Quotes) की. जिसका पूरा नाम एनालीज मैरी फ्रैंक था.
हमेशा खुश रहने वाली, स्कूल में सबसे ज्यादा पॉपुलर, बेहद चुलबुली और ज्यादा बोलने वाली लड़की के बारे में. जो जहां रहती थी खुशियां बिखेरती थी. वो लड़की जिसने बेशक छोटी सी उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया हो, लेकिन उसने दुनिया को कई तरह की सीख भी दी है. उसके विचार और उसकी जिंदगी की कहानी जब तक ये दुनिया है, तब तक लोगों को प्रेरित करते रहेंगे. एनी भी आम लड़कियों की तरह सपने देखती थी, उसके विचार सुनकर ये लगेगा ही नहीं कि ऐसा 77 साल पहले कोई लड़की सोचती होगी. बिल्कुल आज की लड़कियों जैसे विचार, जो खुली हवा में सांस लेना चाहती थी, खुलकर अपनी जिंदगी जीना चाहती थी, आजादी को गले लगाना चाहती थी और एक पत्रकार के साथ-साथ लेखिका भी बनना चाहती थी.
सीक्रेट जगह पर रहने को मजबूर
एनी एक घरेलू महिला बनना पसंद नहीं करती थी. जर्मनी में जन्म लेने वाली एनी भी यहूदियों के साथ हुए अत्याचार का शिकार हुई थी. इस दौरान करीब 60 लाख यहूदियों को गैस चैंबर में डालकर, भूखा रखकर और हद से ज्यादा काम करवाकर मारा गया था. जबकि डेढ़ करोड़ से अधिक यहूदी मुश्किलों के बीच रहने को मजबूर हुए थे.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान एनी को अपने परिवार के साथ एक सीक्रेट जगह (Anee Frank Hiding Place) पर छिपकर रहना पड़ा. क्योंकि जर्मनी के सैनिक ढूंढ ढूंढकर यहूदियों को मार रहे थे. तो चलिए आज एनी की कहानी जानते हैं. इस कहानी के कुल 8 किरदार (Anne Frank The Whole Story Cast) हैं.
आठवें किरदार हैं फ्रिट्स फेफर
इनमें एनी की मां एडिथ फ्रैंक, उसके पिता ऑटो फ्रैंक, उसकी बहन मार्गो फ्रैंक हैं. इनके अलावा इसी सीक्रेट जगह (Secret Annex) पर हर्मन वान पेल्स, उनकी पत्नी ऑगस्टे वान पेल्स और इनका बेटा पीटर वान पेल्स भी रहते थे. वान पेल्स को एनी ने अपनी डायरी में वान डान्स कहा है. कहानी के आठवें किरदार हैं फ्रिट्स फेफर, जिन्हें एनी ने डायरी में एल्बर्ट ड्यूसेल कहा है, जो कि वान पेल्स के डेंटिस्ट थे.
कहानी की शुरुआत होती है, साल 1929 से. इसी साल 12 जून को जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में एनी का जन्म हुआ था. उसके पिता पहले विश्व युद्ध (First World War) में जर्मन सेना में लेफ्टिनेंट थे और बाद में व्यापारी बन गए. ये परिवार रूढ़िवादी नहीं था, बहुत ही लिबरल और बेहद अमीर था. हिटलर (Adolf Hitler) बेशक 1933 में सत्ता में आया हो लेकिन उससे पहले वो नफरत फैलाने का काम कर रहा था.
नीदरलैंड आया था पूरा परिवार
1933 के मार्च महीने में ही पहला यातना शिविर भी खोला गया. एडॉल्फ हिटलर ने यहूदियों को मरवाना (Jews Holocaust) शुरू कर दिया. पहले विश्व युद्ध में जर्मनी बर्बाद हो चुका था. इसके लिए हिटलर ने यहूदियों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि जहां भी ये लोग मिलें, इन्हें मार दो. 1933 की गर्मियों में फ्रैंक परिवार नीदरलैंड आ गया, उस समय एनी की उम्र साढ़े चार साल थी. फिर सितंबर 1939 में दूसरा विश्व युद्ध (Second World War) शुरू हो गया.
जर्मनी ने पेलैंड पर हमला कर दिया, ब्रिटेन और फ्रांस ने उसके खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी. मई 1940 आते-आते जर्मनी ने नीदरलैंड, फ्रांस और बेल्जियम पर आक्रमण किया. इसी दौरान एनी को 12 जून, 1942 को अपने 13वें जन्मदिन के अवसर पर लाल और सफेद रंग के चैक वाली एक डायरी (Anee Frank Journal Entry) मिली. इसके बाद फ्रैंक परिवार के लिए मुश्किलें बढ़ने लगीं.
जब मार्गो को भेजा गया समन
मार्गो को नाजियों के लेबर कैंप में आने के लिए 5 जुलाई 1942 को समन भेजा गया. जिसके बाद फ्रैंक परिवार को छिपकर रहने का फैसला लेना पड़ा. ये लोग ऑटो फ्रैंक के ऑफिस वाली इमारत में एक सीक्रेट जगह पर रहे. इस सीक्रेट जगह पर एक दरवाजा था, जिसे पार करते ही रहने के लिए छोटा सा स्थान था. इसी साल 13 जुलाई को इस परिवार के साथ वान पेल्स (Anne Frank Van Daan) परिवार रहने आता है.
ये लोग भी मूल रूप से जर्मनी के यहूदी थे, जो नीदरलैंड (Jews in Netherlands) में रह रहे थे. चूंकी अब नीदरलैंड भी इनके लिए सुरक्षित जगह नहीं रही इसलिए इन्होंने एनी के परिवार के साथ छिपकर रहने का फैसला लिया. फिर 16 नवंबर, 1942 में साथ रहने आते हैं डॉक्टर ड्यूसेल. सीक्रेट एनेक्स यानी सीक्रेट जगह पर आने के बाद एनी डायरी लिखना शुरू करती है, वो इनमें अपने विचारों के साथ-साथ सीक्रेट एनेक्स में होने वाली हर एक घटना के बारे में बताती है. उसने अपनी डायरी का नाम किट्टी रखा था.
डायरी को रीराइट और एडिट किया
डायरी में एनी के अपनी मां, बहन, मिसेज वान डान्स और ड्यूसेल के साथ होने वाली नोंकझोंक के किस्से भी हैं. साथ ही वहां सैनिकों के बीच होने वाली लड़ाई के दौरान गोली और तोप गोलों ही आवाजों से डर की घटनाएं भी इसमें लिखी गई हैं. एनी लेखक बनना चाहती थी, तभी 28 मार्च, 1944 को डच शिक्षा मंत्री गैरिट बॉक्सटीन ने एक रेडियो प्रोग्राम में घोषणा करते हुए कहा कि युद्ध के बाद लेटर और डायरी जैसी चीजें इस तबाही भरे मंजर की गवाही के तौर पर इस्तेमाल की जाएंगी.
फिर क्या था, एनी चाहती थी कि उसकी डायरी पब्लिश हो, तो उसने उसे रीराइट किया और एडिट किया. इस दौरान उसकी, मार्गो और पीटर की पढ़ाई भी जारी रहती है. बता दें एनी पढ़ाई में औसत छात्रा थी जबकि मार्गो काफी इंटेलिजेंट थी. एनी ने डायरी में स्कूल की पढ़ाई से लेकर अपनी ख्वाहिशों तक के बारे में लिखा. डायरी में ये भी बताया कि कैसे वह सूरज की रोशनी देखने और आसमान के नीचे खड़े रहने के लिए भी तरस जाती थी, कैसे उसके कपड़े छोटे हो रहे थे और वह नए कपड़े नहीं खरीद पा रही थी.
एनी को पीटर से हुआ प्यार
कभी अमीरी की जिंदगी जीने वाले इन सभी लोगों को भूखा तक रहना पड़ा था. एनी को इस दौरान वान डान्स के बेटे पीटर से भी प्यार हो गया था, ये दोनों घंटों तक जंगले के पास बातें करते थे. पीटर एक बेहद ही शांत लड़का था, जो अपने माता-पिता के झगड़े से परेशान रहता था. वहीं एनी अपने पिता के ज्यादा करीब थी.
छिपने के दौरान कुछ जर्मन लोगों ने ही इनकी मदद भी की थी, ये लोग इन्हें राशन का सामान लाकर देते थे, इनके लिए त्योहारों और जन्मदिन के अवसर पर कपड़े और जरूरत का बाकी सामान लाते थे. मदद करने वाले ये सभी ऑटो फ्रैंक की कंपनी में काम करते थे, इनके नाम थे, विक्टर कग्लर, जोहानीस क्लीमैन, जोहान वास्कुजी, बीप वास्कुजी, मीप गीज और जॉन गीज.
1 अगस्त को लिखा आखिरी पन्ना
'लोग आपको मुंह बंद रखने के लिए बोल सकते हैं, लेकिन यह आपको अपनी राय रखने से नहीं रोक सकता.' कुछ ऐसे थे एनी के विचार. उसकी डायरी की पहली एंट्री 12 जून, 1942 की है और आखिरी एंट्री 1 अगस्त, 1944 की. चूंकी 4 अगस्त को ये सभी लोग गिरफ्तार कर यातना शिविरों में भेज दिए गए थे. इन्हें सबसे पहले हॉलैंड के वेस्टरबोर्क ट्रांजिट कैंप में भेजा गया. हालांकि अभी तक ये साफ नहीं है कि इनके बारे में जर्मन सैनिकों को किसने बताया था.
कई बार तो ऐसा भी कहा जाता है कि इमारतों की तलाशी के दौरान इन्हें गिरफ्तार किया गया. ये सभी लोग इतने बदकिस्मत थे कि इन्हें जिस ट्रैन से यातना शिविर ले जाया गया, वो ऐसी आखिरी ट्रेन थी. सभी पहले ऑश्वित्ज यातना शिविर लाए गए और फिर यहां सभी पुरुषों और महिलाओं को अलग-अलग किया गया. एनी, मार्गो, मिसेज वान पेल्स को बर्जन-बेलस्न यातना शिविर भेजा गया, जबकि एडिथ फ्रैंक को ऑश्वित्ज में ही रखा गया.
भूख के कारण हुई एडिथ की मौत
बाद में 6 जनवरी, 1944 को एडिथ की इसी शिविर में भूख के कारण मौत हो गई. लेकिन कैसा रहा होगा वो पल जब एनी को उसकी मां से दूर किया गया होगा. 27 जनवरी, 1945 को सोवियत यूनियन के सैनिक ऑश्वित्ज से ऑटो फ्रैंक को आजाद कराते हैं. इस बीच फरवरी-मार्च, 1945 में बर्जन बेल्सन शिविर में टायफस नाम की बीमारी फैल जाती है क्योंकि वहां काफी गंदगी रहती है, ना ठीक से खाने को कुछ मिलता है और ना ही ठंड से बचने के लिए कुछ होता है.
यहां सबसे खूब मजदूरी करवाई जाती थी और अगर कोई सांस लेने के लिए दो सेकेंड रुक जाए तो सीधा गोली मार दी जाती थी. इसी बीमारी से एनी और मार्गो बीमार हो जाती हैं. पहले मार्गो और फिर एनी (Anee Frank in Concentration Camp) की मौत हो गई. आज दोनों बहनों की कब्र एक ही जगह पर बनाई गई है. बता दें मार्गो एनी से उम्र में तीन साल ही बड़ी थी.
क्यों बदकिस्मत था पूरा परिवार
बदकिस्मती ये थी कि 12 अप्रैल, 1945 को ही ब्रिटेन के सैनिकों ने बर्जन बेल्सन शिविर को आजाद करवा दिया था. लेकिन तब तक एनी और मार्गो की मौत हो गई थी. फिर 8 मई, 1945 को जर्मनी ने आत्मसमर्पण कर दिया. ऑटो फ्रैंक ने सभी लोगों को काफी ढूंढा लेकिन वो अकेले ही जिंदा (Anee Frank How Did She Die) बचे थे. पीटर (Anee Frank and Peter) की बात करें तो उसकी मौत ऑश्वित्ज से मॉथोसन ले जाते हुए 5 मई, 1945 में हो गई थी, वो भी शिविर के आजाद होने से महज तीन दिन पहले.
एनी और मार्गो की मौत की पुष्टि के बाद मीप ने ऑटो फ्रैंक को एनी की डायरी और नोट्स दिए. मीप को उम्मीद थी कि वो ये सब एनी को देगी लेकिन एनी अब नहीं रही थी. दरअसल जब जर्मन सैनिक सबको ले जा रहे थे, तभी एनी की डायरी उसी जगह पर गिर गई, जहां ये लोग छिपे हुए थे. इनके दफ्तर में काम करने वाली मीप जब यहां आई तो उसे ये डायरी मिली. फिर ऑटो फ्रैंक अपनी बेटी का लेखिका बनने का सपना पूरा करते हैं और उसकी डायरी को पब्लिश करवाते हैं.
एनी की पहली डायरी डच टाइटल के साथ- 'द सीक्रेट एनेक्स: डायरी लेटर्स फ्रॉम जून 12, 1942 टू 1 अगस्त, 1944' होता है. बाद में फिर इसे 70 से ज्यादा भाषाओं में पब्लिश कराया जाता है और डायरी 'द डायरी ऑफ अ यंग गर्ल एनी फ्रैंक' के नाम से पब्लिश होती है. अपनी बेटी की डायरी पढ़ने के बाद ऑटो कहते हैं कि उन्हें कतई अंदाजा नहीं था कि उनकी बेटी (Anee Frank Ki Diary) कितना गहरा सोचती थी और कितनी बातों को अपने अंदर समेटे रहती थी.
दोस्त नैनेटी ने क्या कहा?
एक किस्सा ये भी है कि एनी यातना शिविर (Concentration Camp) में अपनी दो दोस्तों से भी मिली थी, जिनके नाम थे हैनेली गोस्लर और नैनेटी ब्लित्ज. नैनेटी बताती हैं कि वह एनी को देखकर हैरान थीं, जो लड़की हमेशा हंसती थी, मजाक करती थी और दूसरों को हंसाती थी, वो एकदम दुखी और शांत हो गई थी. उसे यकीन हो गया था कि अब कोई जिंदा नहीं बचेगा. उसकी सारी उम्मीदें टूट गई थीं. नैनेटी ने ये भी बताया था कि एनी काफी कमजोर हो गई थी.
एनी की डायरी दुनियाभर के करोड़ों लोगों ने पढ़ी है, भारत के स्कूलों में भी अंग्रेजी विषय में इसी डायरी के कुछ पन्ने पढ़ाए जाते हैं. एनी के नाम से एक ट्रस्ट है, जो जरूरतमंदों की मदद करता है. एनी का घर आज म्यूजियम बन गया है, उसे यहूदियों के साथ हुए अत्याचार की उस पीड़िता के तौर पर याद किया जाता है जिसने अपने शब्दों से लोगों को जिंदगी जीना सिखाया है.