मोबाइल फोन का ज्यादा यूज करने वाले हो जाएं सावधान! बढ़ा रहे हैं स्वास्थ जोखिम, कैंसर होने का खतरा अधिक
बढ़ा रहे हैं स्वास्थ जोखिम, कैंसर होने का खतरा अधिक
दुनियाभर में मोबाइल फोन यूजर्स (Mobile Phone User) की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. इसी के साथ मोबाइल फोन पर वक्त गुजारने का समय भी बढ़ा है. लेकिन फोन पर अधिक समय गुजारना सेहत के लिए (Phone side effects) खतरनाक हो सकता है. एक स्टडी में पाया गया है कि 10 सालों तक यदि कोई व्यक्ति हर दिन कम से कम 17 मिनट तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल करता है तो उसके शरीर में कैंसर के ट्यूमर (Cancer Tumour) के बनने का खतरा 60 फीसदी तक बढ़ जाता है. इसके अलावा सेल्स के खत्म होने का भी खतरा होता है.
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया बर्कले के रिसर्चर्स द्वारा दुनियाभर में मोबाइल फोन के इस्तेमाल और स्वास्थ्य पर इसके पड़ने वाले 46 विभिन्न स्टडी का सांख्यिकीय विश्लेषण किया गया है. उन्होंने पाया कि दस साल की अवधि में 1,000 घंटे या प्रति दिन लगभग 17 मिनट के लिए मोबाइल का उपयोग करने से कैंसर के ट्यूमर के पैदा होने का जोखिम 60 फीसदी तक बढ़ गया. शोधकर्ताओं का कहना है कि मोबाइल सिग्नल से रेडिएशन 'सेलुलर मैकेनिज्म में हस्तक्षेप' करता है और इस वजह से स्ट्रेन प्रोटीन का निर्माण हो सकता है जो डीएनए को नुकसान पहुंचा सकता है. यहां तक कि इससे ट्यूमर और सेल्स के खत्म होने का खतरा बभी है.
फोन को खुद से दूर रखने की करें कोशिश
बर्कले रिसर्चर्स ने मोबाइल के इस्तेमाल और स्वास्थ्य की व्यापक तस्वीर प्राप्त करने के लिए अमेरिका, स्वीडन, यूके, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड में किए गए पहले के अध्ययनों की जांच की. मोबाइल फोन रखने की दर भी बढ़ रही है. स्टडी में पाया गया कि 2011 में 87 प्रतिशत घरों में कम से कम एक डिवाइस होता था, जो 2020 में 95 प्रतिशत से अधिक हो गया है. स्टडी के लेखक जोएल मोस्कोविट्ज ने कहा कि लोगों को मोबाइल फोन पर समय कम से कम गुजारना चाहिए. फोन को अपने शरीर से दूर रखना चाहिए और जहां संभव हो कॉल के लिए लैंडलाइन का उपयोग करना चाहिए.
अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने स्टडी को नकारा
हालांकि, अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने कैंसर और मोबाइल रेडिएशन के लिंक को खारिज कर दिया है. FDA ने कहा कि मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी एनर्जी के संपर्क में आने से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का कोई सुसंगत या विश्वसनीय वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. ऐसे में इस स्टडी पर सवाल भी खड़ा हो रहा है. लेकिन सभी लोगों को इस बात की जानकारी जरूर है कि अत्यधिक फोन के इस्तेमाल से आंखें खराब जरूर होती है.