बांग्लादेश ने निर्जन द्वीप पर 1804 और रोहिंग्याओं को पहुंचाया

मानवाधिकार संगठनों के विरोध के बावजूद बांग्लादेश ने शरणार्थी रोहिंग्या मुसलमानों |

Update: 2020-12-30 05:39 GMT

मानवाधिकार संगठनों के विरोध के बावजूद बांग्लादेश ने शरणार्थी रोहिंग्या मुसलमानों के दूसरे जत्थे को बंगाल की खाड़ी में एक निचले द्वीप पर भेज दिया है। मानवाधिकार समूहों का कहना है कि इस नए द्वीप पर तूफान का खतरा है।

उधर संयुक्त राष्ट्र ने साफ किया है कि रोहिंग्याओं के स्थानांतरण के पीछे उसका हाथ नहीं है, लेकिन उसने सरकार से आग्रह किया है कि किसी भी शरणार्थी को जबरन उस भसान चार द्वीप पर न भेजा जाए, जिसका 20 साल पहले ही उदय हुआ है।
बांग्लादेश की नौसेना ने पांच जहाजों के जरिये 1,804 रोहिंग्याओं को उनकी मुर्गी, बतखों और कबूतरों के साथ इस द्वीप पर पहुंचाया। कोरोना महामारी को देखते हुए सभी शरणार्थियों को यात्रा के दौरान मास्क के साथ जीवन रक्षक जैकेट पहनाया गया था।
बता दें कि इससे पहले म्यांमार में हिंसा के कारण वहां से भागे 1,642 शरणार्थियों के पहले जत्थे को चार दिसंबर को शरणार्थी शिविरों से इस निर्जन द्वीप पर भेजा गया था। रोहिंग्या म्यामांर के जातीय अल्पसंख्यक समुदाय हैं और वे 25 अगस्त, 2017 से निर्मम सैन्य कार्रवाई से बचने के लिए अपना घर-बार छोड़कर भागने लगे। शुरुआती ना-नुकुर के बाद बांग्लादेश ने उन्हें मानवीय आधार पर शरण दे दी।
अधिकारियों ने पहले कहा था कि बांग्लादेश ने दक्षिणपूर्व कॉक्स बाजार के घने शरणार्थी शिविरों में रह रहे 11 लाख रोहिंग्याओं में से 100,000 शरणार्थियों के ठहरने के लिए इस द्वीप पर सुविधाओं के निर्माण पर 35 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं। कॉक्स बाजार म्यामांर के रखाइन प्रांत से सटा हुआ क्षेत्र है।
सहायता एजेंसियों और मानवाधिकार संगठनों ने इस डर से रोहिंग्याओं को इस द्वीप पर भेजने पर आपत्ति की है कि उसके चक्रवात और जलवायु परिवर्तन की चपेट में आने की आशंका बनी रहती है।


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