बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर को मिलेगा 2020 का गांधी शांति पुरस्कार

वह देश वापस लौटीं और करीब सात साल बाद हुए चुनावों में जीत भी दर्ज की.

Update: 2021-03-23 03:18 GMT

भारत में इन दिनों बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) की खूब चर्चा हो रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि संस्कृति मंत्रालय ने सोमवार को घोषणा की है कि रहमान को साल 2020 का गांधी शांति पुरस्कार (Gandhi Peace Prize 2020) दिया जाएगा. इसके अलावा उनकी चर्चा का एक दूसरा कारण इस महीने के आखिर में होनी वाली पीएम मोदी की बांग्लादेश यात्रा भी है. साल 2020 बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान का जन्म शातब्दी वर्ष भी है (Sheikh Mujibur Rahman Birthday). इस खास अवसर को बांग्लादेश 'मुजीब बोरसो' के रूप में मना रहा है.

पीएम मोदी के बांग्लादेश पहुंचने पर गणमान्य लोग 'खादी मुजीब जैकेट' भी पहनने वाले हैं, क्योंकि इसे बंगबंधु के परिधान के तौर पर जाना जाता है. आपको बता दें वैसे तो शेख मुजीबुर रहमान 'शेख मुजीब' के नाम से प्रसिद्ध थे लेकिन उन्हें 'बंदबंधु' की पदवी से सम्मानित किया गया था. उन्होंने बांग्लादेश को मुक्ति दिलाने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ सशस्त्र संग्राम की अगुवाई की थी (Sheikh Mujibur Rahman East Pakistan). 17 मार्च, 1920 में ढाका के टुङ्गिपाड़ा में जन्मे बंदबंधु की सैन्य तख्तापलट की कोशिश में 15 अगस्त, 1975 में हत्या कर दी गई. उनकी हत्या के दोषियों में से एक का नाम अब्दुल माजिद था, जिसे बीते साल ही फांसी दी गई है.
पूर्व सैन्य अधिकारी माजिद उनकी हत्या का मुख्य आरोपी था. वह 22 साल तक भारत में छिपा रहा और बाद में गिरफ्तार हुआ. हालांकि बंगबंधु की हत्या के पांच अन्य साजिशकर्ता अब भी छिपे हुए हैं. माजिद ने स्वीकार किया था कि उसी ने बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की हत्या की है लेकिन फिर वो फरार हो गया. जिसके बाद से बांग्लादेश की सुरक्षा एजेंसियां उसकी खोज कर रही थीं (Sheikh Mujibur Rahman Assassination). बांग्लादेश की निचली अदालत ने साल 1998 में उन सभी सैन्य अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई थी जिन्होंने रहमान और उनके परिवार के अधिकतर सदस्यों की हत्या कर दी थी.
बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के जनक और पहले राष्ट्रपति थे. उन्हें बांग्लादेश का संस्थापक भी कहा जाता है. उन्होंने बांग्लादेश को पाकिस्तान से मुक्ति दिला एक अलग देश बनाने में अहम योगदान निभाया था. जब बांग्लादेश पाकिस्तान से मुक्त होकर एक आजाद देश बना तो बंगबंधु ही पहले राष्ट्रपति बने थे. बाद में वह प्रधानमंत्री भी बने. बांग्लादेश में जब तख्तापलट हुआ तो रहमान और उनके परिवार के अधिकतर सदस्यों की हत्या कर दी गई (Sheikh Mujibur Rahman Cause of Death). इस घटना में उनकी दो बेटियां बच गईं, जिनमें से एक का शेख हसीना और दूसरी शेख रेहाना हैं.
शेख हसीना इस समय बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं. शेख हसीना घटना के समय अपनी बहन के साथ जर्मनी गई थीं. इस घटना में इन दो बहनों को छोड़कर पूरा परिवार खत्म हो गया था (Sheikh Mujibur Rahman Daughter). ऐसा कहा जाता है कि इनके बाद जो सरकारें आईं, उन्होंने रहमान के हत्यारों को कूटनीतिक मिशन के तहत विदेश भेज दिया. इस दौरान उनकी बेटी शेख हसीना भारत में आकर रहने लगीं और उन्होंने बांग्लादेश की सत्ता हथियाने वालों के खिलाफ अभियान चलाया. वह देश वापस लौटीं और करीब सात साल बाद हुए चुनावों में जीत भी दर्ज की.


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