9 साल बाद गिलगित-बाल्टिस्तान के जेल से रिहा हुआ राजनीतिक कार्यकर्ता बाबा जान

गिलगिट बाल्टिस्‍तान को पाकिस्‍तान का हिस्‍सा न मानने वाले और सरकार के खिलाफ |

Update: 2020-11-28 08:21 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| गिलगिट बाल्टिस्‍तान को पाकिस्‍तान का हिस्‍सा न मानने वाले और सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले बाबा जान को नौ वर्ष के बाद आखिरकार जेल से रिहाई मिल ही गई। उनकी रिहाई को लेकर काफी समय से गिलगिट बाल्टिस्‍तान के लोग सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। बाबा जान ने गिलगिट-बाल्टिस्‍तान पर पाकिस्‍तान की सरकार को खुली चुनौती दी थी। उन्‍होंने कहा था कि इस पर पाकिस्‍तान का अवैध कब्‍जा है। उन्‍होंने यहां पर पाकिस्‍तान का कानून लागू होने के खिलाफ भी आवाज उठाई थी। सरकार के खिलाफ उठती इस आवाज को दबाने के लिए उन्‍हें वर्ष 2011 में जेल में डाल दिया गया था। उनके ऊपर मुकदमा चलाया गया और आतंकवाद विरोधी कोर्ट ने उन्‍हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर उठी आवाज

वर्ष 2017 में दुनिया के नौ देशों के 18 सांसदों ने भी उनकी रिहाई को लेकर आवाज उठाई थी। इसमें स्‍पेन, मलेशिया, स्विटजरलैंड, आयरलैंड, फ्रांस, ट्यूनिस, जर्मनी और डेनमार्क शामिल है। इन सभी की मांग थी कि बाबा जान पर चल रहे मामलों को वापस लिया जाए और उन्‍हें और उनके साथियों को रिहा किया जाए। अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर उनकी रिहाई को लेकर की गई अपील में 49 देशों की 426 हस्तियों ने हस्‍ताक्षर किए थे।अक्‍टूबर की शुरुआत में भी उनकी रिहाई को लेकर प्रदर्शन हुए थे। इनमें उनकी बहन नाजनीन नियाज समेत आवामी वर्कर्स पार्टी, हकूक ए खल्‍क मूवमेंट, मजदूर किसान पार्टी, कम्‍यूनिस्‍ट पार्टी, किसान रबिता कमेटी के सदस्‍य शामिल हुए थे।

सरकार के खिलाफ उठाई आवाज

बाबा जान ने सरकार और सेना की मिलीभगत से गिलगिट-बाल्टिस्‍तान के लोगों पर हो रहे अत्‍याचारों के खिलाफ पूरी दुनिया का ध्‍यान खींचा था। उनका कहना था कि सरकार सेना के साथ मिलकर यहां पर उनके खिलाफ उठने वाली हर आवाज को कुचल रही है। युवाओं और महिलाओं समेत बुजुर्गों को भी अवैध रूप से जेलों में ठूंसा जा रहा है और उन्‍हें यातनाएं दी जा रही हैं। गौरतलब है कि बाबा आवामी वर्कर्स पार्टी की फेडरल कमेटी के सदस्‍य होने के साथ-साथ इसके पूर्व उपाध्‍यक्ष भी रह चुके हैं।

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