ऑस्ट्रेलिया: संसद में विदेशी देशों के साथ समझौतों को लेकर बिल पारित, चीन के साथ बढ़ सकता है खींचतान
विदेश नीति को प्रभावित हो रहा है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ऑस्ट्रेलियाई संसद में मंगलवार को एक ऐसा बिल पारित हुआ, जिसके तहत विदेश नीति का हवाला देकर विदेशी देशों के साथ समझौतों को रद किया जा सकता है। इसके चलते ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच तनाव को बढ़ सकता है। चीन ने पहले चेतावनी दी थी कि यह कानून द्विपक्षीय संबंधों को और खराब करने का कारण बन सकता है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक नए कानून के तहत, ऑस्ट्रेलिया के विदेशमंत्री अन्य राष्ट्रों और उप-राष्ट्रीय निकायों जैसे राज्य और क्षेत्र सरकारों, स्थानीय परिषदों और विश्वविद्यालयों के बीच समझौतों को रद करने में सक्षम होंगे, अगर उन्हें लगता है कि इनसे विदेश नीति को प्रभावित हो रहा है।
विदेश मंत्री मॉरिस पायने ने कहा कि कानून यह सुनिश्चित करेगा कि समझौते ऑस्ट्रेलिया की विदेश नीति के अनुरूप हों। इस नए कानून के चलते ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच तनाव बढ़ने की संभावना है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार चीन ने संबंध खराब होने के 14 कारणों में एक कारण इस कानून को बताया था। कैनबरा में चीनी दूतावास के माध्यम से पिछले महीने सूची जारी की गई थी। इसमें 5 जी को लेकर हुआवे पर बैन और 'चीन विरोधी' मीडिया रिपोर्ट शामिल है।
चीन-ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंध अप्रैल से ही खराब चल रहे हैं। इस दौरान ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना महामारी की उत्पत्ति की स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग कर दी थी। इसके बाद चीन ने डंपिंग और अन्य व्यापार उल्लंघन का हवाला देते हुए अरबों डॉलर के ऑस्ट्रेलियाई निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। इसमें बीफ, जौ और वाइन शामिल हैं। विश्लेषकों ने व्यापक रूप से आर्थिक प्रतिशोध मानते हैं।
दोनों देशों के बीच बिगड़ते संबंधों के बीच, इस महीने की शुरुआत में, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक डॉक्टर्ड इमेज शेयर किया था। इसमें एक ऑस्ट्रेलियाई सैनिक अफगानी बच्चे की हत्या करते हुए दिख रहा था। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने इसे लेकर चीनी सरकार की काफी आलोचना की और माफी मांगने को कहा। चीन ने माफी मांगने से इन्कार कर दिया और कहा कि ऑस्ट्रेलिया को शर्मिंदा होना चाहिए। इस महीने की शुरुआत में मालाबार नौसैनिक अभ्यास में ऑस्ट्रेलियाई भागीदारी से चीन काफी व्यथित था।