AUKUS नई साझेदारी: ऑस्ट्रेलिया, अमेरिकी और ब्रिटेन ने मिलकर बढ़ाए एक कदम, परमाणु ऊर्जा वाली पनडुब्बियों पर फोकस
जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, अमेरिका फ्रांस और अन्य प्रमुख देशों के साथ मिलकर काम करेंगे।
ऑस्ट्रेलिया, अमेरिकी और ब्रिटेन ने मिलकर एक नई साझेदारी की ओर अपने कदम बढ़ाए हैं। इस नए संगठन को एयूकेयूएस नाम दिया गया है। इसका मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और शक्ति संतुलन बनाए रखने के साथ परमाणु ऊर्चा से चलने वाली पनडुब्बियों पर काम करना है। अफगानिस्तान में उपजे हालात के बाद इस तरह के संगठन का बनना काफी अहम माना जा रहा है।
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया के मुताबिक अमेरिका और ब्रिटेन की तकनीक का उपयोग करके फ्रांसीसी-डिजाइन की पनडुब्बियों के निर्माण के लिए घोषणा करने के लिए ऑस्ट्रेलिया तैयार है। ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन ने संयुक्त रूप से एक नई त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी की घोषणा की है, जिसमें प्रौद्योगिकी और क्षेत्रीय चुनौतियों के सामना करने पर ध्यान दिया जाएगा। वहीं इस दौरान न्यूजीलैंड की पीएम जैसिंडा अर्डर्न का कहना है कि ऑस्ट्रेलियाई परमाणु पनडुब्बियों को न्यूजीलैंड के पानी से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया, यूके और यूएस के बीच एक नई बढ़ी हुई सुरक्षा साझेदारी है। यह एक ऐसी साझेदारी है जहां हमारी तकनीक, हमारे वैज्ञानिक, हमारे उद्योग और रक्षा बल सभी एक सुरक्षित और अधिक सुरक्षित क्षेत्र देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
आगे उन्होंने कहा कि तीनों देशों की बड़ी पहल है कि ऑस्ट्रेलिया के लिए परमाणु ऊर्जा से चलने वाले पनडुब्बी बेड़े की डिलीवरी होगी। हम इसे हासिल करने के लिए सबसे अच्छा रास्ता तय करने की कोशिश करेंगे। हम ब्रिटेन और अमेरिका के साथ घनिष्ठ सहयोग में ऑस्ट्रेलिया में इन पनडुब्बियों का निर्माण करने का इरादा रखते हैं।
ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन के बीच त्रिपक्षीय रक्षा साझेदारी के गठन पर संयुक्त बयान जारी कर कहा कि आज हम जो प्रयास शुरू कर रहे हैं, वह भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में मदद करेगा।
इस मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि विशेष रूप से फ्रांस ने क्षेत्र की सुरक्षा और समृद्धि को मजबूत करने में एक प्रमुख भागीदार और सहयोगी के रूप में पहले से ही पर्याप्त इंडो-पैसिफिक उपस्थिति दर्ज की है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, अमेरिका फ्रांस और अन्य प्रमुख देशों के साथ मिलकर काम करेंगे।