बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले, विरोध प्रदर्शन में धार्मिक आजादी के कानून की मांग
बांग्लादेश में हरेक की धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए एक नया कानून बनाने की मांग जोर-शोर से उठने लगी है
ढाका, एजेंसियां। बांग्लादेश में हरेक की धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए एक नया कानून बनाने की मांग जोर-शोर से उठने लगी है। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक मुसलमानों की हिंसक भीड़ के बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के लोगों पर हमला करने और मंदिरों और दुर्गा पूजा के पंडालों को तहस-नहस करने के विरोध में अब वहां के प्रदर्शनकारियों और गणमान्य लोगों ने शेख हसीना की सरकार से मांग की है।
हिंदुओं के 66 घरों को किया था आग के हवाले
अमेरिका ने भी हाल में मंदिरों पर हुए हमलों और हिंदुओं के कारोबार को तहस-नहस किए जाने पर बांग्लादेश सरकार की कड़ी आलोचना की है। ध्यान रहे कि बांग्लादेश में दुर्गा पूजा समारोह के दौरान विगत बुधवार को हिंदुओं और उनके मंदिरों पर हमले हुए थे और उसके बाद यह घटनाक्रम कई दिनों से जारी है। रविवार की रात को एक भीड़ ने हिंदुओं के 66 घरों को जलाकर राख कर दिया था।
जमकर प्रदर्शन
ढाका ट्रिब्यून अखबार के अनुसार बुधवार को बांग्लादेश में विभिन्न स्थानों पर हिंदुओं के खिलाफ हमलों का विरोध करते हुए जमकर प्रदर्शन किए। इन प्रदर्शनों में ज्यादातर वक्ताओं ने हिंसा करने वालों को सजा दिए जाने की मांग की और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए सभी उपाय करने को कहा है।
नए कानून की मांग
ढाका यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (डुटा) ने हमलावरों को कठोर दंड दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि सरकार देश में सभी की धार्मिक सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए एक नया कानून बनाए। विभिन्न विश्वविद्यालयों के अध्यापकों ने ढाका यूनिवर्सिटी कैम्पस में यह मांग रखते हुए एक मानव श्रृंखला भी बनाई।
अमेरिका ने निंदा की
अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार हिंदुओं पर हमले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि विभिन्न घटनाओं में छह हिंदुओं की हत्या जघन्य अपराध है। संयुक्त राष्ट्र में बांग्लादेश के स्थायी प्रतिनिधि रबाब फातिमा ने कहा कि अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले की वह कड़ी निंदा करती हैं और हमलावरों को कड़ी सजा दी जाएगी।
डराते हैं ये आंकड़े
ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश में बीते नौ वर्षों के दौरान हिंदुओं के 3,721 मंदिरों और घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है। मानवाधिकारों के हिमायती समूह आइन ओ सालिश केंद्र ने कहा है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान वर्ष 2021 में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर सबसे ज्यादा हमले हुए हैं। यह तस्वीर डराने वाली है क्योंकि ऐसे मामलों की असल संख्या और ज्यादा हो सकती है क्योंकि मीडिया केवले मामलों को ही कवर करता है।