America पर वार! Ukraine War पर बात, आमने-सामने बैठीं दुनिया की दो महाशक्तियां
शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने गुरुवार को मुलाकात कर दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत बनाने पर बात की.
शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने गुरुवार को मुलाकात कर दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत बनाने पर बात की. रूस से युद्ध में यूक्रेन के धीरे-धीरे मजबूत होने के बीच दोनों नेताओं की मुलाकात हुई है. शी के साथ अपनी बैठक से पहले पुतिन ने कड़े शब्दों में आलोचना करते हुए यूक्रेन मुद्दे को अमेरिका और उसके सहयोगियों की ओर से अपना वैश्विक दबदबा बनाए रखने की खराब कोशिश बताई.
शी को दिया धन्यवाद
रूस के राष्ट्रपति ने कहा, 'एकध्रुवीय दुनिया बनाने की कोशिश ने हाल ही में बड़ा भद्दा रूप ले लिया है. दुनिया के ज्यादातर देशों को यह बिलकुल मंजूरी नहीं है.' हालांकि पुतिन ने यूक्रेन पर चीन की संतुलित स्थिति के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग को धन्यवाद दिया है. उन्होंने कहा, 'यूक्रेन संकट के मामले में हम अपने चीनी मित्रों के संतुलित नजरिए को बहुत अहमियत देते हैं.' पुतिन ने यह स्वीकार करते हुए कि चीन के पास यूक्रेन से जंग के भविष्य को लेकर सवाल और चिंताएं हो सकती हैं, उन्होंने फिर से सब कुछ विस्तार से समझाने का वादा किया.
चीन ने रूस के यूक्रेन पर आक्रमण का समर्थन नहीं किया है, लेकिन जब से शुरू हुआ है, तब से मॉस्को के साथ व्यापार और अन्य संबंधों में लगातार इजाफा हुआ है. दोनों नेताओं की बैठक यूक्रेन युद्ध के ऐसे मोड़ पर हो रही है, जहां हाल के दिनों में रूसी सैनिकों ने देश के कुछ हिस्सों में अपनी जमीन खो दी है.
इन मुद्दों पर भी हुई चर्चा
चीनी राष्ट्रपति ने व्लादिमीर पुतिन से कहा कि चीन 'महान शक्तियों' की जिम्मेदारियां निभाने के लिए रूस के साथ मिलकर काम करना चाहता है. SCO की आठ देशों की बैठक से इतर उज्बेकिस्तान में दोनों देशों के राष्ट्रपतियों की मुलाकात हुई. एससीओ का गठन अमेरिका के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर किया गया है, जिसमें भारत, पाकिस्तान और मध्य एशिया में पूर्व सोवियत संघ के चार देश शामिल हैं. एससीओ की बैठक में यूक्रेन पर रूस के हमले के अलावा उज्बेकिस्तान के पड़ोसियों आर्मेनिया और आजरबैजान के बीच तनाव और तकनीक, सुरक्षा- सीमा के मुद्दों को लेकर चीन के साथ अमेरिका, यूरोप, जापान और भारत के संबंधों में आए तनाव पर भी चर्चा हुई.