ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर बीबीसी से तुरसुने जियावुद्दीन ने बताया है कि वे न सिर्फ रेप करते हैं, बल्कि पूरे शरीर पर जगह-जगह काटते भी हैं। आप यह नहीं जान पाते कि वे इंसान हैं या फिर जानवर। जियावुद्दीन उइगर मुसलमान महिला है, जिसे चीन ने अपने कंसनट्रेशन कैंप में बंधक बना रखा था। बीबीसी की इस रिपोर्ट से वेबिनार की शुरुआत हुई। इसको आईटीवी न्यूज की अमेरिकी कॉरेसपोंडेंट एमा मूर्फी ने मॉडरेट किया। वे पिछले साल की ऐसी पहली महिला हैं, जिन्होंने उस डॉक्टर से बात की थी, जिन्होंने चीनी अधिकारियों की ड्यूरेसी के तहत उइगर महिलाओं पर गर्भपात, जबरन गर्भनिरोधक और नसबंदी ऑपरेशन कराने के लिए खेद व्यक्त किया था।
पैनेलिस्टों में से एक प्रोफेसर रेचल हैरिस ने चीन में उइगर महिलाओं द्वारा शेयर की गईं यातनाओं संबंधी जानकारियों के बारे याद दिलाया और कहा कि अब तक हमने उन महिलाओं से बहुत सारी बातें सुनी हैं, जिन्होंने यौन हिंसा को देखा या फिर किसी तरह से शिनजियांग से बच गईं। अब वे सभी दुनिया की अलग-अलग जगह पर हैं। हमने अमेरिका, हॉलैंड, फ्रांस, स्वीडन, कजाकिस्तान, तुर्की और आदि से उनकी आवाजों को सुना है। उन्होंने आगे कहा, ''इन दावों को खारिज करने का समय चला गया है और यह कहना भी ठीक नहीं है कि हमारे पास पर्याप्त सबूत नहीं हैं। न सिर्फ प्रताड़ित किया जा रहा है, बल्कि यह पूरे कैंप सिस्टम में फैला हुआ है। यह देखते हुए कि ये इतने व्यापक पैमाने पर किए जा रहे हैं। इसकी उच्च स्तर पर निंदा की जानी चाहिए।''
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सोयुंगल चेनिशेफ की मार्मिक जेल संस्मरण 'द लैंड ड्रेंच्ड इन टीयर्स ' की पुरस्कार विजेता ट्रांसलेटर और विश्व उइगर कांग्रेस की यूके निदेशक रहिमा महमुत एक उइगर मुसलमान हैं, जो पिछले चार साल से अपने परिवार से संपर्क नहीं कर पा रही हैं। वे लगातार उइगर मुस्लिमों के अधिकारों के लिए अभियान चला रही हैं। वेबिनार में बोलते हुए रहिमा ने उइगर महिलाओं का साहस बढ़ाया, जो अपने परिवार के लिए खतरे के बावजूद चीनी शिविरों में हुए उल्लंघन का खुलासा करने के लिए सामने आई थीं। बहादुर महिलाओं के बारे में बात करते हुए रहिमा ने आगे कहा कि वे जिस देश में रह रही हैं, वहां सुरक्षित हैं, लेकिन उनका मन आघात और चिंता से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि आखिर इस मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। इसको लेकर इतने बड़े स्तर पर रिपोर्टिंग भी की जा चुकी है।
वहीं, बैरोनेस कैनेडी ने वर्तमान में ब्रिटेन की संसद के माध्यम से चल रहे व्यापार बिल में संशोधन के रूप में एक नए आयाम के बारे में बात की और कहा कि यह सुझाव दिया जा रहा है कि ब्रिटेन में एक प्रक्रिया होनी चाहिए, जिसके तहत जैसा उइगर लोगों के साथ हो रहा है, उसको ब्रिटिश न्यायाधीशों और ब्रिटिश हाई कोर्ट के सामने लाया जा सके। इससे यह तय किया जा सकेगा कि क्या नरसंहार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो भले ही ब्रिटिश कोर्ट कोई सजा नहीं दे सके, लेकिन इसके बारे में जानकारी सामने आने की वजह से चीन के आचरण और व्यवहार पर असर पड़ सकता है। उन्होंने सवाल पूछा कि ब्रिटेन को ट्रेडिंग पॉलिसी पर फिर से ध्यान देना चाहिए। क्या हमें ऐसे देशों के साथ व्यापार करना चाहिए? उन्होंने प्रताड़ना के खिलाफ कार्रवाई और प्रतिबंध लगाए जाने की भी मांग की।