सियाचीन में सेना : देश के वीर सैनिकों के हित में
यहां तक कि भविष्य में कोई महिला देश की सेना के सर्वोच्च पद पर भी पहुंच सकती है।
प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार जब नरेंद्र मोदी 23 अक्तूबर, 2014 को सियाचीन में सेना के जाबांजों के साथ दिवाली मनाने गए, तो उन्होंने वहां आगंतुक पुस्तिका में लिखा-'सीमाओं की रक्षा करने वाले जवान हमारे ऋषि-मुनियों से किसी भी तरह कम नहीं।' पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने देश के सैनिकों की तुलना ऋषि-मुनियों से की थी। कड़कती ठंड में 12 हजार फुट की ऊंचाई पर देश की रक्षा के लिए तैनात भारतीय सशस्त्र सेना के वीर जवान अचानक अपने बीच प्रधानमंत्री को देखकर गद्गद हो उठे थे।
पहली बार जब प्रधानमंत्री मोदी सैनिकों के साथ दिवाली मनाने गए, तो लगा कि वह यह संदेश देना चाहते हैं कि वह सेना को बहुत सम्मान देते हैं। लेकिन उसके बाद जब वह हर दिवाली पर लगातार सैनिकों के साथ दिवाली मनाने जाने लगे, तो साफ हो गया कि सैनिकों के प्रति प्रेम और सम्मान उनके हृदय की गहराइयों तक है। वर्ष 2015 में मोदी ने डोगराई, पंजाब में, 2016 में किन्नौर, हिमाचल में, 2017 में बांदीपोरा, जम्मू-कश्मीर में, 2018 में हरसिल, उत्तराखंड में, 2019 में लोंगेवाला, राजस्थान में सैनिकों के साथ दिवाली मनाई। और इस बार उन्होंने जम्मू कश्मीर के नौशेरा में सैनिकों के साथ दिवाली मनाई।
असल में मोदी सैनिकों के साथ दिवाली मनाते हुए उनके मन में एक नया उत्साह भरते हैं, जो अपने घर-परिवार से दूर देश की सीमाओं के प्रहरी बनकर हमारी रक्षा कर रहे हैं। इसी बहाने मोदी देश की सीमाओं का निरीक्षण भी कर लेते हैं और शहीद स्मारकों पर शहीदों को श्रद्धांजलि भी देते हैं। इसी दौरान सैनिकों से सीधे संवाद कर वह उनके दुख-सुख और विचार भी जान लेते हैं और सरकार सैनिकों के लिए क्या-क्या कर रही है, यह भी बता देते हैं।
सैनिकों को भी लगता है कि देश और देश का प्रधानमंत्री उनके साथ खड़ा है। पिछले सात वर्षों में इस सम्मान के साथ उनकी सरकार ने सेना के लिए काफी काम किया है। सबसे पहले जब मनोहर पर्रिकर रक्षामंत्री थे, तो उन्होंने सेना के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट को मंजूरी देकर 2016 में 50 हजार जैकेट उपलब्ध कराई।
मौसम की मार से बचने के लिए सैनिकों को मौसम के अनुकूल जैकेट और जूते मिलने से उनकी कठिनाई कुछ कम हो गई है। फिर नवंबर, 2015 में 'वन रैंक वन पेंशन' लागू किया गया, जिसकी मांग वर्षों से हो रही थी। फरवरी, 2019 में इंडिया गेट के पास भव्य 'राष्ट्रीय समर स्मारक' बनना भी सैनिकों को एक बड़ा सम्मान है। ऐसे ही 'भारत के वीर' पोर्टल की स्थापना से अब किसी भी शहीद के परिवार को जनता सीधे आर्थिक सहायता दे सकती है।
यही नहीं, मोदी सरकार ने तीनों सेना के प्रमुख के रूप में रक्षा प्रमुख का एक नया पद सृजित करके सेनाओं को एक सूत्र में बांधने और मजबूत करने का कार्य किया है। इसके अलावा, सात रक्षा कंपनियां बनाकर भी सैन्य शक्ति को एक नया आधार दिया है। वायु सेना को राफेल जैसे अत्याधुनिक विमान और जल सेना को विशाल शक्तिशाली युद्धपोत मिलने से सेना का मनोबल बढ़ा है।
हम हमेशा सेना के जवानों की बात करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने नौशेरा में पहली बार कहा, 'देश के वीर पुत्रों और पुत्रियों द्वारा राष्ट्र की सेवा की जा रही है। देश की रक्षा में महिलाओं की भागीदारी नई ऊंचाइयां छू रही है।' असल में वर्षों से महिलाओं का सेना में चयन 'शॉर्ट सर्विस कमीशन' के माध्यम से होता था और पुरुष स्थायी कमीशन के माध्यम से भी सेना में आते थे।
इससे महिलाओं का कार्यकाल अधिकतम 14 वर्ष होने से वे कर्नल, ब्रिगेडियर या जनरल जैसे उच्च पदों पर नहीं पहुंच पाती थीं। लेकिन अब महिलाओं को भी स्थायी कमीशन मिल गया है। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में अब युवकों की तरह युवतियां भी प्रवेश ले सकती हैं। साथ ही सैनिक स्कूल और कॉलेज के द्वार भी अब लड़कियों के लिए खुल गए हैं। इससे अब सेना में अधिक महिलाएं आ सकेंगी। यहां तक कि भविष्य में कोई महिला देश की सेना के सर्वोच्च पद पर भी पहुंच सकती है।