एंटनी ब्लिंकेन ने कहा- अब हमारी कोशिशों से मजबूत हो रहे भारत-अमेरिकी रिश्ते

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भारत-अमेरिका में बढ़ते सामरिक झुकाव का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने जरूरत पूरी करने के लिए रूस के साथ साझेदारी की। उन्होंने कहा, अमेरिका उस समय भारत की जरूरतें पूरी करने के लिए साझेदारी की स्थिति में नहीं था।

Update: 2022-04-29 00:54 GMT

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भारत-अमेरिका में बढ़ते सामरिक झुकाव का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने जरूरत पूरी करने के लिए रूस के साथ साझेदारी की। उन्होंने कहा, अमेरिका उस समय भारत की जरूरतें पूरी करने के लिए साझेदारी की स्थिति में नहीं था।

उन्होंने कहा, अब, हम इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। मुझे लगता है कि दोनों देशों के बीच सामरिक अभिसरण बढ़ रहा है। सीनेट एप्रोप्रिएशन सबकमेटी ऑन स्टेट फॉरेन ऑपरेशन' की कांग्रेस में सुनवाई के दौरान सांसद विलियम हैगर्टी के एक सवाल के जवाब में ब्लिंकेन ने कहा, यकीनन चीन इसका बड़ा हिस्सा है।

हैगर्टी ने भारत-अमेरिकी रिश्तों पर ब्लिंकेन को विचार रखने के लिए कहा था। ब्लिंकेन ने हैगर्टी की बात से सहमति जताते हुए कहा, अब हम उस प्रयास के लिए कोशिशें कर रहे हैं। मुझे लगता है कि भारत-अमेरिका के बीच रणनीतिक संबंध मजबूत हो रहे हैं।

बाइडन ने मोदी से जुड़ने की कोशिशें कीं

एंटनी ब्लिंकेन ने कहा, मुझे लगता है कि भारत-अमेरिकी साझेदारी, अमेरिका की सबसे अहम और मूलभूत साझेदारियों में से एक है। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति बाइडन ने पीएम नरेंद्र मोदी और भारतीय नेतृत्व से सीधे जुड़ने के लिए काफी कोशिशें की हैं।

राष्ट्रपति ने क्वाड को बढ़ावा दिया जो भारत को हमारे साथ ऑस्ट्रेलिया व जापान से जोड़ता है। भारत के साथ विभिन्न मोर्चों पर हमारे सहयोग को मजबूत करने के लिए क्वाड एक बहुत ही महत्वपूर्ण जरिया रहा है।

भारत में 30 फीसदी निवेश की शर्त रक्षा सौदे में बाधक

'पेंटागन' के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा है कि भारतीय उद्यम में निवेश संबंधी शर्तें अमेरिका के साथ रक्षा सौदों में एक प्रमुख चुनौती है। 'डिफेंस फॉर एक्विजिशन एंड सस्टेनमेंट' में अवर सचिव के तौर पर सेवाएं दे चुकी एलन लॉर्ड ने सदन की सशस्त्र सेवा समिति से यह बात कही।

भारत ने दो हजार करोड़ रुपए से अधिक के रक्षा सौदों के लिए ऑफसेट का प्रावधान किया हुआ है, जिसके तहत विक्रेता कंपनी को सौदे की राशि का 30 प्रतिशत भारत में निवेश करना होना। उन्होंने कहा, भारत में अपार अवसर हैं, लेकिन अपार चुनौतियां भी हैं। हम कभी भारत के साथ व्यापक सुरक्षा समझौता नहीं कर सके, जिसकी हम उम्मीद कर सकते थे।

लॉर्ड ने कहा, हमारे सामने एस-400 समझौते व ऐसी कई चुनौतियां हैं। कारोबार संबंधी चुनौतियां भी हैं। भारत में ये चुनौतियां ऑफसेट जरूरतों के लिहाज से काफी ज्यादा हैं। बता दें, अमेरिका अरबों डॉलर की रक्षा खरीद पर भारत से चर्चा कर रहा है।


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