इंग्लैंड के एक बगीचे में मिली 10वीं सदी की प्राचीन मूर्ति, भारत को सौंपी गई
10वीं शताब्दी की एक प्राचीन भारतीय मूर्ति जिसे 40 साल पहले उत्तर प्रदेश के एक गांव के मंदिर से अवैध रूप से हटा दिया गया था वह इंग्लैंड के एक बगीचे में पाई गई। शुक्रवार को मकर संक्रांति के अवसर पर इसे भारत को सौंप दी गई।
10वीं शताब्दी की एक प्राचीन भारतीय मूर्ति जिसे 40 साल पहले उत्तर प्रदेश के एक गांव के मंदिर से अवैध रूप से हटा दिया गया था वह इंग्लैंड के एक बगीचे में पाई गई। शुक्रवार को मकर संक्रांति के अवसर पर इसे भारत को सौंप दी गई। ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त गायत्री इस्सर कुमार ने मूर्ति को वापस लाने में मदद करने वाले संगठन आर्ट रिकवरी इंटरनेशनल के क्रिस मारिनेलो से यहां भारतीय उच्चायोग में इस मूर्ति को लिया।
बुंदेलखंड के बांदा जिले में लोखरी मंदिर की मूर्ति
यह मूर्ति बुंदेलखंड के बांदा जिले में लोखरी मंदिर में स्थापित एक योगिनी का हिस्सा है, जिसे अब नई दिल्ली में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भेजा जाएगा। यहां इंडिया हाउस में आयोजित एक समारोह में गायत्री कुमार ने कहा कि मकर संक्रांति पर इस योगिनी को प्राप्त करना बहुत शुभ है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2021 में उच्चायोग को इसके बारे में अवगत कराए जाने के बाद प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया रिकॉर्ड समय में पूरी हुई। इसे अब एएसआई को भेजा जाएगा और वे इसे राष्ट्रीय संग्रहालय को सौंप देंगे
गायत्री कुमार ने पेरिस में अपने राजनयिक कार्यकाल के दौरान सुखद संयोग को याद किया कि भैंस के सिर वाली वृषणा योगिनी की एक और प्राचीन मूर्ति लोखरी के उसी मंदिर से चुराई गई थी, बरामदगी के बाद भारत वापस भेज दी गई थी। सितंबर 2013 में इसे नई दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थापित किया गया था।
बकरी के सिर वाली योगिनी 1980 के दशक में लोखरी से लापता हो गई थी और 1988 में लंदन में कला बाजार में कुछ समय के लिए सामने आई थी। जसप्रीत सिंह सुखिजा लंदन में भारतीय उच्चायोग में प्रथम सचिव व्यापार और आर्थिक हैं, इसे भेजने और दूसरी प्रक्रिआएं पूरी करने का काम कर रहे हैं।